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सुमित्रानंदन पंत

Question
CBSEENHN11012248

वे आँखें
अंधकार की गुहा सरीखी
उन आखों से डरता है मन
भरा दूर तक उनमें दारुण
दैन्य दुःख का नीरव रोदन!
वह स्वाधीन किसान रहा
अभिमान भरा आखों में इसका
छोड़ उसे मँझधार आज
संसार कगार सदृश बह खिसका!

Solution

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रसिद्ध कवि सुमित्रानदंन पतं द्वारा रचित कविता ‘वे आँखें’ से अवतरित हैं। यह उनकी प्रगतिवादी दौर की कविता है। इसमें कवि स्वतत्र भारत में भी किसानों की दुर्दशा को देखकर आहत होता है। वह उनकी दशा का यथार्थ अकन करते हुए कहता है-

व्याख्या- भारत स्वाधीन तो हो गया पर किसानों की दशा में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया। उनकी दुख दीनता से परिपूर्ण आँखों की ओर देखने से भी मन भयभीत होता है। किसान की आँखें अंधकार से भरी गुफा के समान हैं अर्थात् उनमें प्रकाश की कोई किरण नजर नहीं आती। उनमें अत्यधिक वेदना, दीनता और दुख-पीड़ा का शांत रोदन भरा हुआ है। किसानों के मन की पीड़ा उनकी आँखों में झलकती है। यह पीड़ा इतनी अधिक है कि उनकी आँखों की ओर देखने का साहस तक नहीं होता।

आज देश स्वतंत्र है। किसान भी स्वाधीन हो गया। इस बात का गर्व उसकी आँखों में भी झलकता है। लेकिन दुख की बात तो यह है कि यह स्वाधीनता उसकी दशा में परिवर्तन नहीं ला पाई। किसान को दुखों के मध्य छोडकर संसार के अन्य लोग किनारे की ओर खिसक गए अर्थात् शासक वर्ग ने किसानों को बीच मझधार में अकेला छोड़ दिया और स्वयं उससे कन्नी काट गए। इन किसानों को स्वाधीन होने का कोई लाभ नहीं मिल पाया।

विशेष- 1. किसानों की दुर्दशा का मार्मिक चित्रण किया गया है।

2. ‘आँखों को अंधकार की गुहा सरीखी’ बताने में उपमा अलंकार का प्रयोग है।

3. ‘दारुण दैन्य दुख’ में द’ वर्ण की आवृत्ति है, अत: अनुप्रास अलंकार है।

4. खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।

Some More Questions From सुमित्रानंदन पंत Chapter

‘पिछले सुख की स्मृति आँखों में क्षण भर रक चमक है लाती’ में किसान के किन पिछले सुखों की ओर संकेत किया गया है?

संदर्भ सहित आशय स्पष्ट करें -
उजरी उसके सिवा किसे कब
पास दुहाने आने देती?

संदर्भ सहित आशय स्पष्ट करें -

घर में विधवा रही पतोहू
लछमी थी, यद्यपि पति घातिन,

संदर्भ सहित आशय स्पष्ट करें -

पिछले सुख की स्मृति आँखों में
क्षण भर एक चमक है लाती,
तुरत शून्य में गड़ वह चितवन
तीखी नोक सदृश बन जाती।

किसान अपने व्यवसाय से पलायन कर रहे हैं। इस विषय पर परिचर्चा आयोजित करें तथा कारणों की भी पड़ताल करें।

‘वे आँखें’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।

इस कविता पर किस वाद का प्रभाव है?

निन्नलिखित काव्य-पंक्तियों में निहित सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

अंधकार की गुहा सरीखी
उन आँखों से डरता है मन,
भरा दूर तक उनमें दारुण
दैन्य दुख का नीरव रोदन।

निन्नलिखित काव्य-पंक्तियों में निहित सौंदर्य स्पष्ट कीजिए:
उजरी उसके सिवा किसे कब
पास दुहाने आने देती।
अह, आँखों में नाचा करती
उजड़ गई जो सुख की खेती।