रामनरेश त्रिपाठी

Question

निम्नलिखित काव्यांशों में निहित काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए:

निकल रहा है जलनिधि तल पर दिनकर-बिंब अधुरा।
कमला के कंचन मंदिर का मानो कांत कँगूरा।।

Answer

भाव-सौंदर्य-इन काव्य-पक्तियों में कवि समुद्र की जल-सतह पर सूर्य के अधूरे बिंब के सौंदर्य को दर्शा रहा है। यह बिंब अधूरा है, अत: कँगूरे की भांति दिखाई देता है। यह देवी लक्ष्मी के मंदिर का सुंदर कँगूरा लगता है। अभी पूरा सूर्य निकलने में थोड़ी देर है।

शिल्प-सौंदर्य-

-‘दिनकर-बिंब’ में कंगूरे की संभावना व्यक्त की गई है, अत: उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रयोग है।

-‘कमला के कंचन’, ‘मंदिर का मानो’ तथा ‘कांत कंगूरा’ में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।

-तत्सम शब्द-प्रधान खड़ी बोली क्य प्रयोग है।

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आशय स्पष्ट करें-
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