विदाई - संभाषण
विद्यार्थी इन बातों पर गौर करें।
इससे आपका जाना भी परंपरा की चाल से कुछ अलग नहीं है, तथापि आपके शासनकाल का नाटक घोर दुखांत है, और अधिक आश्चर्य की बात यह है कि दर्शक तो क्या, स्वयं सूत्रधार भी नहीं जानता था कि उसने जो खेल सुखांत समझकर खेलना आरंभ किया था, वह दुखांत हो जावेगा - •यहाँ कर्जन के शाशनकाल के बारेमे चर्चा हो रही है, जहा लेखक स्वयं लार्ड कर्जन के तानाशाही बर्ताव को देखकर अचंभित है| • सबको लगा था की लार्ड कर्जन का शाशनकाल सफल होगा परन्तु उसका विपरीत हुआ, लार्ड कर्जन अपनी मनमानी करने लगे और प्रजा को पीड़ित करने लगे| • कहते है की कर्जन जो नाटक कर रहे थे अच्छा बनने का और सुचारु रूप से शाशन करने का वह लोगो के सामने आगया और जैसे हर बुराई खत्म होती है वैसे ही उनकी बुराई का भी अंत आगया|
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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
“अभागे भारत! मैंने तुझसे सब प्रकार का लाभ उठाया और तेरी बदौलत वह शान देखी, जो इस जीवन में असंभव है। तूने मेरा कुछ नहीं बिगाड़ा; पर मैंने तेरे बिगाड़ने में कुछ कमी न की। संसार के सबसे पुराने देश! जब तक मेरे हाथ में शक्ति थी, तेरी भलाई की इच्छा मेरे जी में न थी। अब कुछ शक्ति नहीं है, बो तेरे लिए कुछ कर सकूं। पर आशीर्वाद करता हूँ कि तू फिर उठे और अपने प्राचीन गौरव और यश का फिर से लाभ करे। मेरे बाद आने वाले तेरे गौरव को समझें।” आप कर सकते हैं और यह देश आपकी पिछली सब बातें मूल सकता है, पर इतनी उदारता माइ लॉर्ड में कहाँ?
1. गद्याशं के प्रारंभिक वाक्यों में क्या व्यंग किया गया है?
2. कौन क्या आशीर्वाद करता है?
3. अंतिम वाक्य से किसके चरित्र पर क्या प्रकाश पड़ता है?
कर्जन को इस्तीफा क्यों देना पड़ गया?
पाठ का यह अंश ‘शिवशंभु के चिट्ठे’ से लिया गया है। शिवशंभु नाम की चर्चा पाठ में भी हुई है। बालमुकुंद गुप्त ने इस नाम का उपयोग क्यों किया होगा?
इस पाठ में आए अलिफ़ लैला, अलहदीन, अबुल हसन और बगदाद के खलीफा के बारे में सूचना एकत्रित कर कक्षा में चर्चा कीजिए।
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