अग्नि पथ - हरिवंश राय बच्चन

Question

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए
तू न थकेगा कभी!
तू न थमेगा कभी!
तू न मुड़ेगा कभी!-कर शपथ, कर शपथ कर शपथ!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!




Answer

शिल्प सौन्दर्य
1. मनुष्यों को संसार की कठिनाईयों से जूझने की प्रेरणा दी गई।
2. खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
3. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
4. भाषा सरल, सरस व रोचक है।
5. भावात्मक व संबोधनात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
6. शब्दों की आवृत्ति में ध्वन्यात्मक सौन्दर्य निहित है।
7. ‘कर-शपथ, कर शपथ’ में अनुप्रास व पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार का प्रयोग हुआ है।

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निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

प्रस्तुत कविता के रचयिता कौन है?

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

वृक्ष किसका बोध कराते हैं?

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

किसकी माँग न करने की चर्चा की गई है?



निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

कवि ने एक समान शब्दों की पुनरावृत्ति क्यों की है?




निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

‘माँग मत’ से क्या तात्पर्य है?



निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर भाव पक्ष लिखिए:
तू न थकेगा कभी!
तू न थमेगा कभी!
तू न मुड़ेगा कभी!-कर शपथ, कर शपथ कर शपथ!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!




निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए
तू न थकेगा कभी!
तू न थमेगा कभी!
तू न मुड़ेगा कभी!-कर शपथ, कर शपथ कर शपथ!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!




निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
तू न थकेगा कभी!
तू न थमेगा कभी!
तू न मुड़ेगा कभी!-कर शपथ, कर शपथ कर शपथ!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!
कवि ने संघर्षमय जीवन को ......... कहते हुए मनुष्य को संदेश दिया है