धूल - रामविलास शर्मा
लेखक ने धूल की महिमा का बखान करने के लिए निम्नलिखित रूपक बाँधे हैं:
- अमराइयों के पीछे छिपे सूर्य की किरणों मे आलोकित धूलि सोने को मिट्टी कर देती है।
- सूर्यास्त के उपरांत लीक पर गाड़ी के निकल जाने के बाद जो रूई के बादल की तरह या ऐरावत हाथी के नक्षत्र-पथ की भाँति जहाँ की तहाँ स्थिर रह जाती है।
- चाँदनी रात में मेले जाने वाली गाड़ियों के पीछे जो कवि की कल्पना की भांति उड़ती चलती है।
- जो शिशु के मुँह पर फूल की पंखुड़ियों पर साकार सौन्दर्य बनकर छा जाती हैं
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