-
Call Us
+91 8076753736 -
Send us an Email
[email protected]
धूल - रामविलास शर्मा
हमारी सभ्यता धूल से इसलिए बचना चाहती है क्योंकि वह आसमान में अपना घर बनाना चाहती है। हवाई किले बनाती है। वास्तविकता से दूर रहती है परन्तु धूल के महत्व को नहीं समझती। यह सभ्यता अपने बच्चों को धूल में नहीं खेलने देना चाहती। धूल से उसकी बनावटी सुन्दरता सामने आ जाएगी। उसके नकली सलमें-सितारे धुँधले पड़ जायेंगे। धूल के प्रति उसमें हीनभावना है। इस प्रकार हमारी सभ्यता आकाश की बुलंदियों को छूना चाहती है। वह हीरों का प्रेमी है, धूल भरे हीरों का नहीं। धूल की कीमत को वह नहीं पहचानती।
Sponsor Area
Sponsor Area