Question
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए-
इस पाठ में लेखक ने नगरीय सभ्यता पर क्या व्यंग्य किया है?
Solution
इस पाठ में लेखक ने बताया है कि जो लोग गाँव से जुड़े हुए हैं वे यह कल्पना ही नहीं कर सकते कि धूल के बिना भी कोई शिशु हो सकता है। वे धूल से सने हुए बच्चे को ‘धूलि भरे हीरे’ कहते हैं। आधुनिक नगरीय सभ्यता बच्चों को धूल में खेलने से मना करती है। नगर में लोग कृत्रिम वातावरण में जीने पर विवश होते है। नगर की सभ्यता को बनावटी, नकली और चकाचौंध भरी कहा गया है। यहाँ लोगों को काँच के हीरे ही प्यारे लगते हैं। नगरीय सभ्यता में गोधूलि का महत्व नहीं होता जबकि ग्रामीण परिवेश का यह अलंकार है। नगरों में तो धूल- धक्कड़ होते हैं गोधूलि नहीं होती।