धूल - रामविलास शर्मा

Question
CBSEENHN9000408

(क) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए:
धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना क्यों नहीं की जा सकती?


Solution

माँ और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ्‌कर हैं। माँ की गोद से उतरकर बच्चा मातृभूमि पर कदम रखता है। घुटनों के बल चलना सीखता है फिर धूल से सनकर विविध क्रीड़ाएं करता है। शिशु का बचपन मातृभूमि की गोद में धूल से सनकर निखर उठता है। इसलिए धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना नहीं की जा सकती। यह धूल ही है जो शिशु के मुँह पर पड़कर उसकी स्वाभाविक सुन्दरता को उभारती है। अभिजात वर्ग ने प्रसाधन सामग्री में बड़े-बड़े आविष्कार किए परन्तु शिशु के मुँह पर छाई वास्तविक गोधूलि की तुलना में वह सामग्री कोई मूल्य नहीं रखती।

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(क) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए:
हमारी सभ्यता धूल से क्यों बचना चाहती है?

(क) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए:
अखाड़े की मिट्‌टी की क्या विशेषता होती है?

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए-
श्रद्धा, भक्ति, स्नेह की व्यंजना के लिए धूल सर्वोत्तम साधन किस प्रकार है?

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए-
इस पाठ में लेखक ने नगरीय सभ्यता पर क्या व्यंग्य किया है?

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
लेखक ‘बालकृष्ण’ के मुँह पर छाई गोधूलि को क्यों श्रेष्ठ मानता है?

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
लेखक ने धूल और मिट्‌टी में क्या अतंर बताया है?

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के कौन-कौन से सुदंर चित्र प्रस्तुत करती है?


(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
‘हीरा वही घन चोट न टूटे' -का सदंर्भ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
धूल, धूलि, धूली, धूरि और गोधूलि की व्यंजनाओं को स्पष्ट कीजिए।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
‘धूल’ पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।