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धूल - रामविलास शर्मा
लेखक ‘बालकृष्ण’ के मुँह पर छाई गोधूलि को इसलिए श्रेष्ठ मानता है क्योंकि यह धूल उनके सौन्दर्य को कई गुना बढ़ा देती है। तथा कृत्रिम प्रसाधन सामग्री की निरर्थकता को प्रकट किया गया है। फूलों के ऊपर रेणु उनकी शोभा को बढ़ाती है। वही शिशु के मुँह पर उसकी स्वाभाविक पवित्रता को निखार देती है। सौन्दर्य प्रसाधन उसे इतनी सुंदरता प्रदान नहीं करते जितनी धूल करती है। इसलिए लेखक धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना कर ही नहीं सकता।
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