धूल - रामविलास शर्मा
गोधूलि गाँव की संपत्ति है क्योंकि गाँव के कच्चे रास्तों पर संध्या के समय जब ग्वाले अपनी गायों को चराकर लौटते हैं तो अपने तथा गायों के पैरों से उड़ने वाली धूल अस्त होते हुए सूर्य की सुनहली किरणों में रंगकर स्वर्णमयी हो जाती है। इसी धूल को गोधूलि कहते है। इसके विपरीत शहर की पक्की सड़कों पर यह दृश्य दिखाई नहीं देता। इसलिए गोधूलि गाँव की ही संपत्ति है।
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