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एक दल के प्रभुत्व का दौर

Question
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अगर पहले आम चुनाव के बाद भारतीय जनसंघ अथवा भारतीय कमुनिस्ट पार्टी की सरकार बनी होती तो किन मामलों में इस सरकार ने अलग नीति अपनाई होती? इन दोनों दलों द्वारा अपनाई गई नीतियों के बीच तीन अंतरों का उल्लेख करें।

Solution

यदि पहले आम चुनाव के बाद भारतीय जनसंघ अथवा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनी होती तो उनकी सरकारें अपनी अलग नीतियाँ अपनातीं। ये नीतियाँ इस प्रकार होतीं:

यदि भारतीय जनसंघ की सरकार बनी होती तो सरकार:

  1. अंग्रेजी को हटाकर हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने में अत्यधिक मान्यता प्रदान करती।
  2. धार्मिक तथा सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों को रियायतें देने का विरोध करती।
  3. सन् 1964 के बाद से ही भारत को परमाणुशक्ति संपन्न देश बनानेका प्रयत्न करती।

यदि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनी होती तो सरकार:

  1. साम्यवादी विचारधारा का समर्थन करते हुए मज़दूरों तथा किसानों के हितों का समर्थन करती।
  2. काम का अधिकार मौलिक अधिकारों में शामिल करती।
  3. पार्टी संविधान की धारा 370 की पक्षधर है जिसके अनुसार जम्मू-कश्मीर को विशेष स्थिति प्राप्त है। जनसंघ इसे समाप्त करने की पक्षधर है।

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Some More Questions From एक दल के प्रभुत्व का दौर Chapter

अगर पहले आम चुनाव के बाद भारतीय जनसंघ अथवा भारतीय कमुनिस्ट पार्टी की सरकार बनी होती तो किन मामलों में इस सरकार ने अलग नीति अपनाई होती? इन दोनों दलों द्वारा अपनाई गई नीतियों के बीच तीन अंतरों का उल्लेख करें।

कांग्रेस किन अर्थों में एक विचारधारात्मक गठबंधन थी? कांग्रेस में मौजूद विभिन्न विचारधारात्मक उपस्थितियों का उल्लेख करें।

क्या एकल पार्टी प्रभुत्व की प्रणाली का भारतीय राजनीति के लोकतांत्रिक चरित्र पर खराब असर हुआ?

समाजवादी दलों और कमुनिस्ट पार्टी के बीच के तीन अंतर बताएँ। इसी तरह भारतीय जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी के बीच के तीन अंतरों का उल्लेख करें।

भारत और मैक्सिको दोनों ही देशों में एक खास समय तक एक पार्टी का प्रभुत्व रहा। बताएँ कि मैक्सिको में स्थापित एक पार्टी का प्रभुत्व कैसे भारत के एक पार्टी के प्रभुत्व से अलग था?

भारत का एक राजनीतिक नक्शा लीजिए (जिसमें राज्यों की सीमाएँ दिखाई गई हों) और उसमें निम्नलिखित को चिह्नित कीजिए:

(क) ऐसे दो राज्य जहाँ 1952-67 के दौरान कांग्रेस सत्ता में नहीं थी।
(ख) दो ऐसे राज्य जहाँ इस पूरी अवधि में कांग्रेस सत्ता में रही।

निम्नलिखित अवतरण को पढ़कर इसकेआधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

कांग्रेस के संगठनकर्ता पटेल कांग्रेस को दूसरे राजनीतिक समूह से निसंग रखकर उसे एक सर्वांगसम तथा अनुशासित राजनीतिक पार्टी बनाना चाहते थे। वे चाहते थे कि कांग्रेस सबको समेटकर चलने वाला स्वभाव छोड़े और अनुशासित कॉडर से युक्त एक सगुंफित पार्टी के रूप में उभरे। 'यथार्थवादी' होने के कारण पटेल व्यापकता की जगह अनुशासन को ज्यादा तरजीह देते थे। अगर ''आंदोलन को चलाते चले जाने'' के बारे में गाँधी के ख्याल हद से ज़्यादा रोमानी थे तो कांग्रेस को किसी एक विचारधारा पर चलने वाली अनुशासित तथा धुरंधर राजनीतिक पार्टी के रूप में बदलने की पटेल की धारणा भी उसी तरह कांग्रेस की उस समन्वयवादी भूमिका को पकड़ पाने में चूक गई जिसे कांग्रेस को आने वाले दशकों में निभाना था। -रजनी कोठारी

(क) लेखक क्यों सोच रहा है कि कांग्रेस को एक सर्वांगसम तथा अनुशासित पार्टी नहीं होना चाहिए?
(ग) शुरूआती सालों में कांग्रेस द्वारा निभाई गई समन्वयवादी भूमिका के कुछ उदाहरण दीजिए।