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एक दल के प्रभुत्व का दौर

Question
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कांग्रेस किन अर्थों में एक विचारधारात्मक गठबंधन थी? कांग्रेस में मौजूद विभिन्न विचारधारात्मक उपस्थितियों का उल्लेख करें।

Solution

कांग्रेस पार्टी की स्थापना सन् 1885 में हुई। उस समय पार्टी में अंग्रेजी पढ़े-लिखे, उच्च जातीय वर्ग, उच्च मध्यवर्ग तथा शहरी बुद्धिजीवियों का बोलबाला था जिसका उद्देश्य सरकार और जनता के बीच एक कड़ी के रूप में काम करना था परंतु धीरे-धीरे पार्टी ने अपना सामाजिक आधार बढ़ाना शुरू किया और स्वतंत्रता-प्राप्ति के समय तक यह एक ऐसा सामाजिक और राजनीतिक संगठन बन गया, जिसमें सभी वर्गों, जातियों, धर्मों, ग्रामीणों, शहरवासियों, किसानों, उद्योगपतियों, मजदूरों तथा भूमिपतियों के प्रतिनिधि शामिल थे। इसके अतिरिक्त पार्टी में नरमपंथी, गरमपंथी, दक्षिणपंथी तथा वामपंथी, क्रांतिकारी और शांतिवादी जैसे विचारधारात्मक गठबंधन पाए जाते थे। इनमें से कुछ समूहों ने अपने को कांग्रेस के साथ कर लिया और यदि उन्होंने अपनी पहचान को कांग्रेस के साथ नहीं भी किया तो भी वे अपने-अपने विश्वासों को मानते हुए कांग्रेस के भीतर ही बने रहे। इन अर्थों में कांग्रेस एक विचारधारात्मक गठबंधन थी।

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Some More Questions From एक दल के प्रभुत्व का दौर Chapter

कांग्रेस किन अर्थों में एक विचारधारात्मक गठबंधन थी? कांग्रेस में मौजूद विभिन्न विचारधारात्मक उपस्थितियों का उल्लेख करें।

क्या एकल पार्टी प्रभुत्व की प्रणाली का भारतीय राजनीति के लोकतांत्रिक चरित्र पर खराब असर हुआ?

समाजवादी दलों और कमुनिस्ट पार्टी के बीच के तीन अंतर बताएँ। इसी तरह भारतीय जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी के बीच के तीन अंतरों का उल्लेख करें।

भारत और मैक्सिको दोनों ही देशों में एक खास समय तक एक पार्टी का प्रभुत्व रहा। बताएँ कि मैक्सिको में स्थापित एक पार्टी का प्रभुत्व कैसे भारत के एक पार्टी के प्रभुत्व से अलग था?

भारत का एक राजनीतिक नक्शा लीजिए (जिसमें राज्यों की सीमाएँ दिखाई गई हों) और उसमें निम्नलिखित को चिह्नित कीजिए:

(क) ऐसे दो राज्य जहाँ 1952-67 के दौरान कांग्रेस सत्ता में नहीं थी।
(ख) दो ऐसे राज्य जहाँ इस पूरी अवधि में कांग्रेस सत्ता में रही।

निम्नलिखित अवतरण को पढ़कर इसकेआधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

कांग्रेस के संगठनकर्ता पटेल कांग्रेस को दूसरे राजनीतिक समूह से निसंग रखकर उसे एक सर्वांगसम तथा अनुशासित राजनीतिक पार्टी बनाना चाहते थे। वे चाहते थे कि कांग्रेस सबको समेटकर चलने वाला स्वभाव छोड़े और अनुशासित कॉडर से युक्त एक सगुंफित पार्टी के रूप में उभरे। 'यथार्थवादी' होने के कारण पटेल व्यापकता की जगह अनुशासन को ज्यादा तरजीह देते थे। अगर ''आंदोलन को चलाते चले जाने'' के बारे में गाँधी के ख्याल हद से ज़्यादा रोमानी थे तो कांग्रेस को किसी एक विचारधारा पर चलने वाली अनुशासित तथा धुरंधर राजनीतिक पार्टी के रूप में बदलने की पटेल की धारणा भी उसी तरह कांग्रेस की उस समन्वयवादी भूमिका को पकड़ पाने में चूक गई जिसे कांग्रेस को आने वाले दशकों में निभाना था। -रजनी कोठारी

(क) लेखक क्यों सोच रहा है कि कांग्रेस को एक सर्वांगसम तथा अनुशासित पार्टी नहीं होना चाहिए?
(ग) शुरूआती सालों में कांग्रेस द्वारा निभाई गई समन्वयवादी भूमिका के कुछ उदाहरण दीजिए।