क्या एकल पार्टी प्रभुत्व की प्रणाली का भारतीय राजनीति के लोकतांत्रिक चरित्र पर खराब असर हुआ?
हाँ, यह बात सच है कि एकल पार्टी प्रभुत्व का भारतीय राजनीति के लोकतांत्रिक चरित्र पर खराब असर हुआ। पहले तीन आम चुनावों (1952, 1957, 1962) में कांग्रेस को संसद तथा राज्य विधानसभाओं में भारी बहुमत प्राप्त हुआ। यद्यपि चुनावों में अनेक अन्य दलों-भारतीय जनसंघ, समाजवादी पार्टी, स्वतंत्र पार्टी, कमुनिस्ट पार्टी तथा प्रजा समाजवादी पार्टी आदि ने भी भाग लिया, परंतु इन चुनावों में उन्हें केवल नाममात्र प्रतिनिधित्व ही मिला। इसमें संदेह नहीं है कि इन विरोधी दलों के सिद्धांतों के आधार पर कांग्रेस की आलोचना भी हुई परंतु संसद तथा राज्य विधानसभाओं में कांग्रेस के भारी बहुमत के कारण इसका कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा और कांग्रेस अपनी मनमानी करती रही। इसने निश्चित रूप से भारतीय राजनीति की लोकतांत्रिक प्रणाली को प्रभावित किया।