निम्नलिखित के कारण दे:-
महात्मा गांधी ने कहा कि स्वराज की लड़ाई दरअसल अभिव्यक्ति, प्रेस और सामूहिकता के लिए लड़ाई है।
गांधीजी ने 1922 में असहयोग आंदोलन के माध्यम से देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ते हुए ये शब्द कहे थे। उनका मानना था कि विचार अभिव्यक्ति की सवतंत्रता, प्रेस की आज़ादी और सामूहिकता की आज़ादी ही वे माध्यम है जिनके रास्ते पर चलकर देश की आज़ादी के सपने को हासिल किया जा सकता है। उनका मानना था कि औपनिवेशिक भारत सरकार इन तीन ताकतवर औज़ारों को दबाने का प्रयतन कर रही है। अत: स्वराज की लड़ाई, सबसे पहले तो इन संकटग्रस्त आज़ादियों की लड़ाई है।