मुग़ल साम्राज्य में शाही परिवार की स्त्रियों द्वारा निभाई गई भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
मुग़ल साम्राज्य में शाही परिवार की स्त्रियों द्वारा निभाई गई भूमिका का मूल्यांकन इस प्रकार हैं:
- मुग़ल साम्राज्य में शाही परिवार की महिलाओं के द्वारा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती थी। इतिहास साक्षी है कि मुगल सम्राट जहाँगीर की बेगम नूरजहाँ की शासन सत्ता में महत्वपूर्ण भूमिका थी। मलिका नूरजहाँ ने मुग़ल सम्राट पर अपना पूर्ण प्रभाव स्थापित करके शासन की बागडोर अपने हाथों में ले ली थी। उसने जहाँगीर के साथ 'झरोखा दर्शन' में भाग लेना प्रारंभ कर दिया तथा बहुत से सिक्कों पर भी उसका नाम आने लगा। शाही आदेश-पत्रों पर बादशाह के हस्ताक्षरों के अतिरिक्त बेगम नूरजहाँ का नाम भी आने लगा। इस प्रकार शासन सत्ता नूरजहाँ के हाथों में केंद्रित होने लगी। राज्य संबंधी कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय नुरजहाँ की स्वीकृति के बिना नहीं लिया जा सकता था।
- नूरजहाँ के पश्चात् मुगल रानियाँ और राजकुमारियाँ महत्त्वपूर्ण वित्तीय स्रोतों पर अपना नियंत्रण स्थापित करने लगीं। शाहजहाँ की पुत्रियों जहाँनारा और रोशनआरा की वार्षिक आय ऊँचे शाही मनसबदारों की वार्षिक आय से कम नहीं थी। जहाँनारा को विदेशी व्यापार के एक अत्यधिक लाभप्रद केंद्र सूरत के बंदरगाह नगर से भी राजस्व प्राप्त होता था।
- आर्थिक संसाधनों पर नियंत्रण होने के परिणामस्वरूप मुगल परिवार की महत्त्वपूर्ण महिलाओं को इमारतों एवं बागों का निर्माण करवाने की प्रेरणा मिली। जहाँनारा ने शाहजहाँ की नई राजधानी शाहजहाँनाबाद में स्थापत्य की अनेक महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं में योगदान दिया। इनमें से आँगन तथा बाग के साथ एक दोमंजिला भव्य कारवाँ सराय विशेष रूप से उल्लेखनीय है । शाहजहाँनाबाद के हृदयस्थल चाँदनी चौक की रूपरेखा को भी जहाँनारा द्वारा ही तैयार किया गया था।
- शाही परिवार की महिलाओं में से अनेक उच्च कोटि की प्रतिभावान तथा विदुषी महिलाएँ थीं। गुलबदन बेगम, जो प्रथम मुगल सम्राट बाबर की पुत्री, हुमायूँ की बहन और महा मुगल सम्राट अकबर की फूफी (बुआ) थी, इसी प्रकार की एक महिला थी। उसे तुर्की और फ़ारसी का अच्छा ज्ञान था और वह इन दोनों भाषाओं में कुशलतापूर्वक लिख सकती थी। अकबर ने जब दरबारी इतिहासकार अबुल फज़ल को अपने शासन का इतिहास लिखने के लिए नियुक्त किया, तो उसने गुलबदन बेगम से आग्रह किया कि वह बाबर और हुमायूँ के समय के अपने संस्मरणों को लिपिबद्ध करे ताकि अबुल फजले उनसे लाभ उठाकर अपने ग्रंथ को पूरा कर सकें।