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शासक और विभिन्न इतिवृत्त

Question
CBSEHHIHSH12028327

मुग़ल अभिजात वर्ग के विशिष्ट अभिलक्षण क्या थे? बादशाह के साथ उनके संबंध किस तरह बने।

Solution

मुगल राज्य का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ इसके अधिकारियों का दल था जिसे इतिहासकार सामूहिक रूप से अभिजात-वर्ग भी कहते हैं। मुग़ल अभिजात वर्ग के प्रमुख अभिलक्षण इस प्रकार थे:

  1. अभिजात-वर्ग में भर्ती विभिन्न नृ-जातीय तथा धार्मिक समूहों से होती थी। इससे यह सुनिश्चित हो जाता था कि कोई भी दल इतना बड़ा न हो कि वह राज्य की सत्ता को चुनौती दे सके।
  2. मुग़ल अमीर वर्ग में लगभग 70 प्रतिशत विदेशी अमीर थे। इनमें फ़ारस के ईरानी तथा मध्य एशिया के तूरानी अमीरों का महत्त्वपूर्ण स्थान था। ईरानी और तूरानी अमीर उन परिवारों से संबंधित थे, जो हुमायूँ के साथ भारत आ गए थे अथवा जो अकबर के सम्राट बनने के बाद भारत आए थे।
  3. अकबर के शासन काल में 1560 ई० के बाद भारतीय मूल के दो शासकीय समूहों- राजपूतों और भारतीय मुसलमानों (शेखजादाओं) का शाही सेवाओं में प्रवेश हुआ। इनमें प्रविष्ट होने वाला प्रथम राजपूत अबेर का राजा भारमल ( बिहारीमल) कछवाहा था। उसकी पुत्री जोधाबाई का 6 फरवरी, 1562 ई० को सम्राट अकबर से विवाह हुआ था।
  4. अकबर द्वारा शिक्षा तथा लेखाशास्त्र में अभिरुचि रखने वाली हिंदू जातियों के सदस्यों को भी ऊँचे पद देकर अभिजात वर्ग में सम्मिलित किया गया। इसका उल्लेखनीय उदाहरण अकबर का वित्तमंत्री टोडरमल था, जो ख़त्री जाति से संबंधित था। अभिजात वर्ग में राजपूतों की नियुक्ति पर दो प्रमुख कारणों से बल दिया गया था-(1) राजपूत हिन्दू समाज के तलवारधारी वर्ग का निर्माण करते थे। उन्हें अभिजात वर्ग में सम्मिलित करके उनके सैन्य संसाधनों का प्रयोग मुग़ल साम्राज्य की सुरक्षा एवं विस्तार में किया जा सकता था। (2) आवश्यकता के समय राजपूत अभिजातों का प्रयोग वह अपने विदेशी मुस्लिम अभिजातों के विरुद्ध कर सकता था।
  5. जहाँगीर के शासन में ईरानियों को उच्च पद प्राप्त हुए। जहाँगीर की राजनीतिक रूप से प्रभावशाली रानी नूरजहाँ (1645) ईरानी थी। औरंगज़ेब ने राजपूतों को उच्च पदों पर नियुक्त किया। फिर भी शासन में अधिकारियों के समूह में मराठे अच्छी खासी संख्या में थे।

अभिजात-वर्ग के बादशाह के साथ संबंध:

अभिजात-वर्ग के सदस्यों के लिए शाही सेवा शक्ति, धन तथा उच्चतम प्रतिष्ठा प्राप्त करने का एक जरिया थी । मुग़ल सेवा में आने का इच्छुक व्यक्ति एक अभिजात के जरिए याचिका देता था जो बादशाह के सामने तजवीज़ प्रस्तुत करता था। अगर याचिकाकर्ता को सुयोग्य माना जाता था तो उसे मनसब प्रदान किया जाता था। मीर-बख्शी (उच्चतम वेतनदाता) खुले दरबार में बादशाह के दाएँ ओर खड़ा होता था तथा नियुक्ति और पदोन्नति के सभी उम्मीदवारों को प्रस्तुत करता था जबकि उसका कार्यालय उसकी मुहर व हस्ताक्षर के साथ-साथ बादशाह की मुहर व हस्ताक्षर वाले आदेश तैयार करता था।

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