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शासक और विभिन्न इतिवृत्त

Question
CBSEHHIHSH12028324

मुगल कौन थे?

Solution

मुग़ल साम्राज्य काफी विस्तृत था। प्रशासनिक सुविधा की दृष्टि से साम्राज्य का विभाजन प्रांतों अथवा सूबों में कर दिया गया था। अकबर के शासनकाल में प्रांतों की संख्या 15 थी; जहाँगीर के शासनकाल में 17 और शाहजहाँ के शासनकाल में यह संख्या 22 तक पहुँच गई थीं। औरंगजेब के शासनकाल में साम्राज्य में इक्कीस प्रांत थे। प्रांतीय शासन व्यवस्था के प्रमुख अभिलक्षण इस प्रकार थे:

  1. सूबेदार: सूबेदार प्रांत का सर्वोच्च अधिकारी था, जिसे साहिब-ए-सूबा, नाजिम, सिपहसालार आदि नामों से भी जाना जाता था। सूबेदार की नियुक्ति स्वयं सम्राट के द्वारा की जाती थी और वह सम्राट के प्रति ही उत्तरदायी होता था। सूबे के सभी अधिकारी उसके अधीन होते थे।
  2. दीवान: दीवान प्रान्त का प्रमुख वित्तीय अधिकारी था। इसकी नियुक्ति सम्राट द्वारा केंद्रीय दीवान के परामर्श से की जाती थी। दीवान सूबेदार के अधीन नहीं अपितु केंद्रीय दीवान के अधीन होता था। प्रान्तीय खजाने की देखभाल करना, प्रांत की आय-व्यय का हिसाब रखना, दीवानी मुकद्दमों का फैसला करना, प्रांतीय आर्थिक स्थिति के सम्बन्ध में केंद्रीय दीवान को सूचना देना तथा राजस्व विभाग के कर्मचारियों के कार्यों की देखभाल करना आदि दीवान के महत्त्वपूर्ण कार्य थे।
  3. बख्शी: बख्शी प्रांतीय सैन्य विभाग का प्रमुख अधिकारी था। प्रांत में सैनिकों की भर्ती करना तथा उनमें अनुशासन बनाए रखना उसके प्रमुख कार्य थे।
  4. वाक़िया-नवीस-वाक्रिया नवीस प्रांत के गुप्तचर विभाग का प्रधान था। वह प्रांतीय प्रशासन की प्रत्येक सूचना केंद्रीय सरकार को भेजता था।
  5. कोतवाल-प्रांत की राजधानी तथा महत्त्वपूर्ण नगरों की आंतरिक सुरक्षा, शांति एवं सुव्यवस्था तथा स्वास्थ्य और सफाई का प्रबंध कोतवाल द्वारा किया जाता था।
  6. सदर और काजी–प्रांत में सदर और काजी का पद सामान्यत: एक ही व्यक्ति को दिया जाता था। सदर के रूप में यह प्रजा के नैतिक चरित्र की देखभाल करता था और काज़ी के रूप में वह प्रांत का मुख्य न्यायाधीश था।

केंद्र का प्रांतों पर नियंत्रण अथवा प्रान्तीय प्रशासन की कुशलता के कारण:
नि:संदेह मुगल सम्राटों द्वारा कुशल प्रान्तीय प्रशासन की स्थापना की गई थी। मुग़ल सम्राटों ने प्रांतों पर केन्द्र का नियंत्रण बनाए रखने के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण कदम उठाए थे :

  1. सम्राट स्वयं प्रांतीय प्रशासन में पर्याप्त रुचि लेता था।
  2. प्रांत के प्रमुख अधिकारी सूबेदार की नियुक्ति स्वयं सम्राट के द्वारा की जाती थी और वह सम्राट के प्रति ही उत्तरदायी होता था।
  3. प्रशासनिक कार्यकुशलता को बनाए रखने तथा सूबेदार की शक्तियों में असीमित वृद्धि को रोकने के उद्देश्य से प्रायः तीन या पाँच वर्षों के बाद सूबेदार का एक प्रांत से दूसरे प्रांत में तबादला कर दिया जाता था।
  4. प्रांतों में कुशल गुप्तचर व्यवस्था की स्थापना की गई थी। परिणामस्वरूप प्रान्तीय प्रशासन से सम्बन्धित सभी सूचनाएँ सम्राट को मिलती रहती थी।
  5. सम्राट द्वारा समय-समय पर स्वयं प्रांतों का भ्रमण किया जाता था।

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