इस अध्याय में दी गई दृश्य-साम्रगी किस हद तक अबुल फज़ल द्वारा किए गए 'तसवीर' के वर्णन (स्रोत1) से मेल खाती है?
इसमें कोई संदेह नहीं कि इस अध्याय में दी गई दृश्य सामग्री अबुल फज्ल द्वारा वर्णित 'तसवीर' के वर्णन से पर्याप्त सीमा तक मेल खाती है। उल्लेखनीय है कि मुग़लकाल में चित्रकारी अथवा चित्रकला का सराहनीय विकास हुआ था।
लगभग सभी मुग़ल सम्राट (अपवादस्वरूप औरंगजेब को छोड़कर) चित्रकारी के प्रेमी थे। प्रथम मुग़ल सम्राट बाबर ने चित्रकला को राज्याश्रय प्रदान किया और अपनी आत्मकथा के कुछ भागों को चित्रित करवाया। बाबर के उत्तराधिकारी हुमायूँ को चित्रकला से विशेष लगाव था। राजनैतिक उथल-पुथल के कारण जब उसे भारत छोड़कर फ़ारस में शरण लेनी पड़ी, तो वहाँ उसे इस कला के अध्ययन का सुअवसर प्राप्त हुआ। यहीं उसका परिचय फ़ारस के उच्चकोटि के चित्रकारों से हुआ।
इस अध्याय में दी गई दृश्य-सामग्री मुख्य रूप से रंगीन चित्र है। बुलंद दरवाजा जैसे कुछ भवनों को भी दर्शाया गया है। यह दृश्य सामग्री अबुल फ़जल द्वारा किए गए 'तसवीर' के वर्णन से काफी सीमा तक मेल खाती है।
- यह चित्र दर्शाए गई चीज़ों का सटीक चित्रण हैं।
- ये मुग़ल बादशाहों की चित्र-कला तथा वास्तुकला में गहरी रूचि को व्यक्त करते हैं। उन्होंने इस कला को प्रोत्साहन देने के लिए हर संभव प्रयत्न किया। इस कार्य के लिए उन्होंने शाही कार्यशाला स्थापित की हुई थी।
- दिए गए चित्र को देखकर यह कहा जा सकता है कि उस समय सर्वाधिक उत्कृष्ट कलाकार उपलब्ध थे। उनकी कृतियों को उन यूरोपीय चित्रकारों की अनुपम कलाकृतियों के समक्ष रखा जा सकता है जिन्होंने विश्व में अध्याय ख्याति प्राप्त कर ली थी।
- चित्रों के सचिव रंग चित्र को इतना सजीव कर देते हैं कि ऐसा लगता है कि उनमें चित्रित व्यक्ति बोल रहे हैं।



