उदाहरण सहित मुग़ल इतिहासों के विशिष्ट अभिलक्षणों की चर्चा कीजिए।
मुग़ल इतिहासों के विभिन्न अभिलक्षणों का वर्णन इस प्रकार हैं :
- दरबारी लेखक: मुग़ल इतिवृत्तों के लेखक दरबारी इतिहासकार थे। उन्होंने मुग़ल शासकों के संरक्षण में इतिवृत्तों की रचना की। इन विवरणों में बादशाह के समय की घटनाओं का लेखा-जोखा दिया गया है। इसके अतिरिक्त उपमहाद्वीपीय के अन्य क्षेत्रों से भी बहुत सी जानकारियाँ दी गयी हैं।
- कालक्रम अनुसार घटनाएँ: मुग़ल काल में दी गई घटनाएँ कालक्रम अनुसार हैं। एक ओर ये मुग़ल राज्य की संस्थाओं की जानकारी देते हैं, तो दूसरी ओर उन उद्देश्यों पर भी प्रकाश डालते हैं जिन्हे मुग़ल शासक अपने क्षेत्र में लागू करना चाहते थे। अत: इतिवृत्त हमें इस बात की एक झलक देते हैं कि कैसे शाही विचारधाराएँ रची तथा प्रचारित की जाती थीं।
- रंगीन चित्र:मुग़ल इतिवृत्तों का एक अन्य अभिलक्षण उनके रंगीन चित्र हैं। मुगल पांडुलिपियों की रचना में अनेक चित्रकारों की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। ये चित्र कई कलाकारों की कल्पन पर आधारित हैं तथा मुग़ल दरबार तथा परिवार के विभिन्न पहलुओं की झाँकी भी प्रस्तुत करते हैं।
- दरबार तथा बादशाह के इतिहास में समानता: अकबर, शाहजहाँ और आलमगीर (मुगल शासक औरंगजेब की एक पदवी) की कहानियों पर आधारित इतिवृत्तों के शीर्षक अकबरनामा, शाहजहाँनामा, आलमगीरनामा यह संकेत करते हैं कि इनके लेखकों की निगाह में साम्राज्य व दरबार का इतिहास और बादशाह का इतिहास एक ही था।
- भाषा: मुग़ल इतिवृत्तों का एक प्रमुख अभिलक्षण उनकी रचना फ़ारसी भाषा में किया जाना था। मुग़लकाल में सभी दरबारी इतिहास फारसी भाषा में लिखे गए थे। उल्लेखनीय है कि मुग़ल चगताई मूल के थे। अत: उनकी मातृभाषा तुर्की थी, किन्तु अकबर ने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए फारसी को राजदरबार की भाषा बनाया।
- मुग़ल इतिहास के अन्य महत्वपूर्ण स्रोत: मुग़ल इतिवृत्तों का एक महत्त्वपूर्ण अभिलक्षण साम्राज्य के अंतर्गत आने वाले सभी लोगों के सामने एक प्रबुद्ध राज्य की छवि को प्रस्तुत करना था। इतिवृत्तों का एक अन्य अभिलक्षण मुगल शासन का विरोध करने वाले लोगों को यह स्पष्ट रूप से बता देना था कि साम्राज्य की शक्ति के सामने उनके सभी विरोधों का असफल हो जाना सुनिश्चित था।