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अपू के साथ ढाई साल

Question
CBSEENHn11011984

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
शूटिंग की शुरूआत में ही एक गडबड हो गई । अपू और दुर्गा को लेकर हम कलकत्ता से सत्तर मील पर पालसिट नाम के एक गांव गए । वहाँ रेल-लाइन के पास काशफूलों से भरा एक मैदान था । अपू और दुर्गा पहली बार रेलगाड़ी देखते हैं-इस सीन की शूटिंग हमें करनी थी । यह सीन बहुत ही बड़ा था । एक दिन में उसकी शुटिंग पूरी होना नामुमकिन था । कम-से-कम दो दिन लग सकते थे । पहले दिन जगद्धात्री पूजा का त्योहार था । दुर्गा के पीछे-पीछे दौड़ते हुए अपू काशफूलों के वन में पहुंचता है । सुबह शूटिंग शुरू करके शाम तक हमने सीन का आधा भाग चित्रित किया । निर्देशक, छायाकार, छोटे अभिनेता-अभिनेत्री हम सभी इस क्षेत्र में नवागत होने के कारण थोड़े बौराए हुए ही थे, बाकी का सीन बाद में चित्रित करने का निर्णय लेकर हम घर पहुंचे । सात दिनों के बाद शूटिंग के लिए उस जगह गए, तो वह जगह हम पहचान ही नहीं पाए! लगा, ये कहां आ गए हैं हम? कहाँ गए वे सारे काशफूल । बीच के सात दिनों में जानवरों ने वे सारे काशफूल खा डाले थे! अब अगर हम उस जगह बाकी आधे सीन की शूटिंग करते, तो पहले आधे सीन के साथ उसका मेल कैसे बैठता? उसमें से 'कंटीन्यूइटी 'नदारद हो जाती!

1. लेखक को किस सीन की शूटिंग करनी थी?
2. पूरा सीन शूट करने में दिक्कत क्या थी?
3. बाद में क्या समस्या सामने आ गई?

Solution

1. लेखक को एक बहुत लंबा सीन शूट करना था । इसमें अप्पू और दुर्गा पहली बार रेलगाड़ी देखते हैं । रेललाइन के पास काशफूलों से भरा एक मैदान था । लेखक अपू और दुर्गा को लेकर कलकत्ता से सत्तर मील दूर पालसिट नामक गाँव में इस सीन की शूटिंग करने गया था ।
2. पूरा सीन एक दिन में शूट करने में यह दिक्कत थी कि यह सीन बहुत लंबा था । एक दिन में उसकी शूटिंग नामुमकिन थी । इसमें कम-से-कम दो दिन लग सकते थे । एक दिन में आधा सीन ही शूट हो पाया ।
3. लेखक सीन का दूसरा भाग शूट करने के लिए शूटिंग-स्थल पर सात दिनों के बाद गया तो वहाँ का सारा प्राकृतिक दृश्य गायब था । बीच के सात दिनों में जानवरों ने मैदान के सारे काशफूल खा डाले थे । इससे फिल्म की कंटीन्युइटी नदारद हो गई।

Some More Questions From अपू के साथ ढाई साल Chapter

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
उस घर के एक हिस्से में एक के पास एक ऐसे कुछ कमरे थे। वे हमने फिल्म में नहीं दिखाए। उन कमरों में हम अपना सामान रखा करते थे। एक कमरे में रिकार्डिंग मशीन लेकर हमारे साउंड-रिकॉर्डिस्ट भूपेन बाबू बैठा करते थे। हम शूटिंग के वक्त उन्हें देख नहीं सकते थे, फिर भी उनकी आवाज सुन सकते थे। हर शॉट के बाद हम उनसे पूछते, 'साउंड ठीक है न? 'भूपेन बाजू इस पर 'हां या 'ना 'जवाब देते।

1. यहाँ किस घर का उल्लेख है?
2. सामान कहाँ रखा जाता था?
3. भूपेन बाबू क्या काम करते थे?

पथेर पांचाली फिल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक क्यों चला?

अब अगर हम उस जगह बाकी आधे सीन की शूटिंग करते, तो पहले आधे सीन के साथ उसका मेल कैसे बैठता? उनमें से 'कंन्टिन्यूइटी नदारद हो जाती है-इस कथन के पीछे क्या भाव है?

किन दो दृश्यों में दर्शक यह पहचान नहीं पाते कि उनकी शुटिंग में कोई तरकीब अपनाई गई है?

फिल्म में श्रीनिवास की क्या भूमिका थी और उनसे जुड़े बाकी दृश्यों को उनके गुजर जाने के बाद किस प्रकार फिल्माया गया?

बारिश का दृश्य चित्रित करने में क्या मुश्किल आई और उसका समाधान किस प्रकार हुआ?

किसी फिल्म की शूटिंग करते समय फिल्मकार को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उन्हें सूचीबद्ध कीजिए ।

तीन प्रसंगों में राय ने कुछ इस तरह की टिप्पणियाँ की हैं कि दर्शक पहचान नहीं पाते कि..... या फिल्म देखते हुए इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया कि..... इत्यादि । ये प्रसंग कौन से हैं, चर्चा करें और इसपर भी विचार करें कि शुटिंग के समय की असलियत फिल्म को देखते समय कैसे छिप जाती है ।

मान लीजिए कि आपको अपने विद्यालय पर एक डॉक्यूमैंट्री फिल्म बनानी है । इस तरह की फिल्म में आप किस तरह के दृश्यों को चित्रित -करेंगे? फिल्म बनाने से पहले और बनाते समय किन बातों पर ध्यान देंगे?

पथेर पांचाली फिल्म में इंदिरा ठाकरून की भूमिका निभाने वाली अस्सी साल की चुन्नीबाला देवी ढाई साल तक काम कर सकीं । यदि आधी फिल्म बनने के बाद चुन्नीबाला देवी की अचानक मृत्यु हो जाती तो सत्यजित राय क्या करते? चर्चा करें ।