निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
शूटिंग की शुरूआत में ही एक गडबड हो गई । अपू और दुर्गा को लेकर हम कलकत्ता से सत्तर मील पर पालसिट नाम के एक गांव गए । वहाँ रेल-लाइन के पास काशफूलों से भरा एक मैदान था । अपू और दुर्गा पहली बार रेलगाड़ी देखते हैं-इस सीन की शूटिंग हमें करनी थी । यह सीन बहुत ही बड़ा था । एक दिन में उसकी शुटिंग पूरी होना नामुमकिन था । कम-से-कम दो दिन लग सकते थे । पहले दिन जगद्धात्री पूजा का त्योहार था । दुर्गा के पीछे-पीछे दौड़ते हुए अपू काशफूलों के वन में पहुंचता है । सुबह शूटिंग शुरू करके शाम तक हमने सीन का आधा भाग चित्रित किया । निर्देशक, छायाकार, छोटे अभिनेता-अभिनेत्री हम सभी इस क्षेत्र में नवागत होने के कारण थोड़े बौराए हुए ही थे, बाकी का सीन बाद में चित्रित करने का निर्णय लेकर हम घर पहुंचे । सात दिनों के बाद शूटिंग के लिए उस जगह गए, तो वह जगह हम पहचान ही नहीं पाए! लगा, ये कहां आ गए हैं हम? कहाँ गए वे सारे काशफूल । बीच के सात दिनों में जानवरों ने वे सारे काशफूल खा डाले थे! अब अगर हम उस जगह बाकी आधे सीन की शूटिंग करते, तो पहले आधे सीन के साथ उसका मेल कैसे बैठता? उसमें से 'कंटीन्यूइटी 'नदारद हो जाती!
1. लेखक को किस सीन की शूटिंग करनी थी?
2. पूरा सीन शूट करने में दिक्कत क्या थी?
3. बाद में क्या समस्या सामने आ गई?
1. लेखक को एक बहुत लंबा सीन शूट करना था । इसमें अप्पू और दुर्गा पहली बार रेलगाड़ी देखते हैं । रेललाइन के पास काशफूलों से भरा एक मैदान था । लेखक अपू और दुर्गा को लेकर कलकत्ता से सत्तर मील दूर पालसिट नामक गाँव में इस सीन की शूटिंग करने गया था ।
2. पूरा सीन एक दिन में शूट करने में यह दिक्कत थी कि यह सीन बहुत लंबा था । एक दिन में उसकी शूटिंग नामुमकिन थी । इसमें कम-से-कम दो दिन लग सकते थे । एक दिन में आधा सीन ही शूट हो पाया ।
3. लेखक सीन का दूसरा भाग शूट करने के लिए शूटिंग-स्थल पर सात दिनों के बाद गया तो वहाँ का सारा प्राकृतिक दृश्य गायब था । बीच के सात दिनों में जानवरों ने मैदान के सारे काशफूल खा डाले थे । इससे फिल्म की कंटीन्युइटी नदारद हो गई।