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अपू के साथ ढाई साल

Question
CBSEENHN11011990

किन दो दृश्यों में दर्शक यह पहचान नहीं पाते कि उनकी शुटिंग में कोई तरकीब अपनाई गई है?

Solution

पहला दृश्य-रेलगाड़ी के दृश्य में दर्शक उसमें अपनाई गई तरकीब को नहीं पहचान पाते । रेलगाड़ी के शॉट के लिए तीन रेलगाड़ियों का प्रयोग किया गया था । अनिल बाबू इंजन ड्राइवर के केबिन में चढ़कर शूटिंग स्थल तक पहुँचने पर बायलर में कोयला डलवाते थे ताकि काला धुआँ निकले । सफेद काशफूलों की पृष्ठभूमि पर काला धुआँ दर्शाना था । दर्शक यह नहीं पहचान पाता कि इस सीन के लिए तीन रेलगाड़ियों का प्रयोग किया गया है ।
दूसरा दृश्य-' आभूलो' कुत्ते का दृश्य । इस दृश्य में पहले कुत्ते (भूलो) के बीच में मर जाने पर दूसरे कुत्ते से काम लिया गया । एक ही सीन में दो अलग- अलग कुत्तों से काम लेने को दर्शक नहीं पहचान पाते । लेखक की तकरीब काम आ गई ।

Some More Questions From अपू के साथ ढाई साल Chapter

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
रासबिहारी एवेन्यू की एक बिल्डिंग में मैंने एक कमरा भाई पर लिया था, वहां पर बच्चे इंटरव्यू के लिए आते थे । बहुत-से लड़के आए, लेकिन अपू की भूमिका के लिए मुझे जिस तरह का लड़का चाहिए था, वैसा एक भी नहीं था । एक दिन एक लड़का आया । उसकी गर्दन पर लगा पाउडर देखकर मुझे शक हुआ । नाम पूछने पर नाजुक आवाज में वह बोला-' टिया '। उसके साथ आए उसके पिताजी से मैंने पूछा,' क्या अभी-अभी इसके बाल कटवाकर यहाँ ले आए हैं?' वे सज्जन पकड़े गए । सच छिपा नहीं सके बोले, 'असल में यह मेरी बेटी है । अपू की भूमिका मिलने की आशा से इसके बाल कटवाकर आपके यहां ले आया हूं ।'
1. बच्चे इंटरव्यू के लिए कहाँ आते थे?
2. लेखक को किसकी तलाश थी?
3. एक सज्जन किस बात पर पकड़े गए?

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
शूटिंग की शुरूआत में ही एक गडबड हो गई । अपू और दुर्गा को लेकर हम कलकत्ता से सत्तर मील पर पालसिट नाम के एक गांव गए । वहाँ रेल-लाइन के पास काशफूलों से भरा एक मैदान था । अपू और दुर्गा पहली बार रेलगाड़ी देखते हैं-इस सीन की शूटिंग हमें करनी थी । यह सीन बहुत ही बड़ा था । एक दिन में उसकी शुटिंग पूरी होना नामुमकिन था । कम-से-कम दो दिन लग सकते थे । पहले दिन जगद्धात्री पूजा का त्योहार था । दुर्गा के पीछे-पीछे दौड़ते हुए अपू काशफूलों के वन में पहुंचता है । सुबह शूटिंग शुरू करके शाम तक हमने सीन का आधा भाग चित्रित किया । निर्देशक, छायाकार, छोटे अभिनेता-अभिनेत्री हम सभी इस क्षेत्र में नवागत होने के कारण थोड़े बौराए हुए ही थे, बाकी का सीन बाद में चित्रित करने का निर्णय लेकर हम घर पहुंचे । सात दिनों के बाद शूटिंग के लिए उस जगह गए, तो वह जगह हम पहचान ही नहीं पाए! लगा, ये कहां आ गए हैं हम? कहाँ गए वे सारे काशफूल । बीच के सात दिनों में जानवरों ने वे सारे काशफूल खा डाले थे! अब अगर हम उस जगह बाकी आधे सीन की शूटिंग करते, तो पहले आधे सीन के साथ उसका मेल कैसे बैठता? उसमें से 'कंटीन्यूइटी 'नदारद हो जाती!

1. लेखक को किस सीन की शूटिंग करनी थी?
2. पूरा सीन शूट करने में दिक्कत क्या थी?
3. बाद में क्या समस्या सामने आ गई?

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
मूल उपन्यास में अपू और दुर्गा के 'भूलो 'नामक पालतू कुत्ते का उल्लेख है । गांव से ही हमने एक कुत्ता प्राप्त किया, और वह भी हमसे ठीक बर्ताव करने लगा । फिल्म में एक दृश्य ऐसा है - अपू की माँ सर्वजया अन् को भात खिला रही है । भूलो कुत्ता दरवाजे के सामने अगिन में बैठकर अपू का भात खाता देख रहा है । अपू के हाथ में छोटे तीर-कमान हैं । खाने में उसका पूरा ध्यान नहीं है । वह माँ की ओर पीठ करके बैठा हुआ है । वह तीर-कमान खेलने के लिए उतावला है ।

1. मूल उपन्यास में किस बात का उल्लेख है? वह कहाँ मिला?
2. फिल्म का दृश्य कैसा था?
3. अपू की क्या दशा है?

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
आखिर एक दिन हुआ भी वैसा ही । शरद् ऋतु में भी आसमान में बादल छा गए और धुआँधार बारिश शुरू हुई । उसी बारिश में भीगकर दुर्गा भागती हुई आई और उसने पेड़ के नीचे भाई के पास आसरा लिया । भाई-बहन एक-दूसरे से चिपककर बैठे । दुर्गा कहने लगी-' नेत्-पाता करमचा, हे वृष्टी घरे जा! 'बरसात, ठंड, अपू का बदन खुला, प्लास्टिक के कपड़े से ढके कैमरे को खि लगाकर देखा, तो वह ठंड लगने के कारण सिहर रहा था । शॉट पूरा होने के बाद दूध में थोड़ी ब्रांडी मिलाकर दी और भाई-बहन का शरीर गरम किया । जिन्होंने 'पथेर पांचाली 'फिल्म देखी है, वे जानते ही हैं कि वह शॉट बहुत अच्छा चित्रित हुआ है ।

1. आखिर एक दिन कैसा हुआ?
2. दुर्गा ने क्या अभिनय किया?
3. शॉट पूरा होने के बाद क्या किया गया?

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
उस घर के एक हिस्से में एक के पास एक ऐसे कुछ कमरे थे। वे हमने फिल्म में नहीं दिखाए। उन कमरों में हम अपना सामान रखा करते थे। एक कमरे में रिकार्डिंग मशीन लेकर हमारे साउंड-रिकॉर्डिस्ट भूपेन बाबू बैठा करते थे। हम शूटिंग के वक्त उन्हें देख नहीं सकते थे, फिर भी उनकी आवाज सुन सकते थे। हर शॉट के बाद हम उनसे पूछते, 'साउंड ठीक है न? 'भूपेन बाजू इस पर 'हां या 'ना 'जवाब देते।

1. यहाँ किस घर का उल्लेख है?
2. सामान कहाँ रखा जाता था?
3. भूपेन बाबू क्या काम करते थे?

पथेर पांचाली फिल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक क्यों चला?

अब अगर हम उस जगह बाकी आधे सीन की शूटिंग करते, तो पहले आधे सीन के साथ उसका मेल कैसे बैठता? उनमें से 'कंन्टिन्यूइटी नदारद हो जाती है-इस कथन के पीछे क्या भाव है?

किन दो दृश्यों में दर्शक यह पहचान नहीं पाते कि उनकी शुटिंग में कोई तरकीब अपनाई गई है?

फिल्म में श्रीनिवास की क्या भूमिका थी और उनसे जुड़े बाकी दृश्यों को उनके गुजर जाने के बाद किस प्रकार फिल्माया गया?

बारिश का दृश्य चित्रित करने में क्या मुश्किल आई और उसका समाधान किस प्रकार हुआ?