‘अतीत के दबे पाँव’ के कथ्य का विश्लेषण कीजिए।
यह रचना ओम थानवी का लिखा एक ऐसा यात्रा-वृत्तांत है जो रिपोर्ट का भी मिला-जुला रूप दिखाई देता है। यह वर्णन भारतीय भूमि ही नहीं विश्वफलक पर घटित सभ्यता की सबसे प्राचीन घटना को उतने ही सुनियोजित ढंग से पुनर्जीवित करता है, जितने सुनियोजित ढंग से उसके दो महान नगरों मोहनजोदड़ो और हड़प्पा बसे थे। लेखक ने टीलों, स्नानागारों, मृदभंडारों, कुँओं, तालाबों व मार्गो से प्राप्त पुरातत्वों में मानव-संस्कृति की उस समझदार-भाषात्मक घटना को बड़े इत्मीनान से खोज-खोजकर हमें दिखलाया है जिससे हम इतिहास की सपाट वर्णनात्मकता से ग्रस्त होने की जगह इतिहास बोध से तर (सिक्त) होते हैं। सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा शहर मोहनजोदड़ो की नगर योजना अभिभूत करती है और आज के सेक्टर मार्का कॉलोनियों के नीरस नियोजन की अपेक्षा अधिक रचनात्मक है। पुरातत्व के निष्प्राण पड़े चिह्नों से एक जमाने में आबाद घरों, लोगों को उनकी सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक व आर्थिक गतिविधियों का पक्का अनुमान किया जा सकता है।