आधुनिक शहर नियोजन पर लेखक का दृष्टिकोण बताइए?
लेखक आधुनिक शहरी नियोजन पर सकारात्मक रुख नहीं जताता। उसका मानना है कि आज हमें शहरी नियोजन के नाम पर सिर्फ अराजकता हाथ लगती है। आधुनिक सेक्टरों या कॉलोनियों में आड़ा-तिरछा और सीधा नियोजन मिलता है, परंतु इसमें नीरसता होती है। जीवन में गतिशीलता नहीं होती। यह नियोजन व्यवहार में लाया जाता है, परंतु यह शहर की विकसित नहीं होने देता।