मोहन-जोदड़ो के सामूहिक स्नानागार की किन विशेषताओं के कारण इसे धार्मिक स्थान माना जाता है? स्पष्ट कीजिए।
मोहन-जोदड़ो के सामूहिक स्नानागार का स्थान महाकुंड नाम से जाना जाता है। यह कुंड करीब चालीस फुट लंबा और पच्चीस फुट चौड़ा है। गहराई सात फुट है कुंड में उत्तर और दक्षिण से सीढ़ियाँ उतरती हैं। इसके तीन तरफ साधुओं के कक्ष बने हुए हैं। उत्तर में दो पात में आठ स्नानागार हैं। इनमें से किसी का द्वार दूसरे के सामने नहीं खुलता। यह वास्तुकला का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। कुडं में पक्की ईंटों का जमाव है। कुंड का पानी रिसने और बाहर का ‘अशुद्ध’ पानी कुंड में न आए, इसके लिए कुंड के तल में और दीवारों पर ईंटों के बीच चूने और चिरोड़ी के गारे का इस्तेमाल हुआ है। पानी के प्रबन्ध के लिए दोहरे घेरे वाले कुएं का इंतजाम है। कुंड से बाहर पानी बहने के लिए पक्की ईटों की ही नाली बनी हुई है। मोहनजोदड़ो व महाकुंड की इन्हीं विशेषताओं के कारण उसे धार्मिक अनुष्ठान से जुड़ा माना जाता है।