क्या सब कानून हकूमत के ही होते हैं, कुछ मुहब्बत, मुरौवत, आदमियत, इंसानियत के नहीं होते?
जब लेखिका के भाई ने लाहौर का नमक भारत ले जाने के बारे में कानून की मनाही के बारे में बताया तब लेखिका बिगड़ गई। उसका तर्क था कि हकूमत के बनाए कानून ही सब कुछ नहीं होते। कुछ कानून समाज भी बनाता है। समाज के बनाए कानून इंसानी रिश्तों, प्यार पर निर्भर होते हैं। इन कानूनों का भी महत्व होता है।