‘मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से जमीन और जनता बँट जाती है’ -उचित तर्कों व उदाहरणो के जरिए इसकी पुष्टि करें।
राजनैतिक कारणों से मानचित्र पर एक लकीर खींचकर एक देश को दो भागों में बाँट दिया जाता है। नेता कहते हैं कि इससे जमीन और जनता का बँटवारा हो गया पर उनका यह कथन झूठ का पुलिंदा मात्र है। मानचित्र पर लकीर खींच देने मात्र से जमीन और जनता नहीं बँट जाती। मानचित्र पर खींची गई इस लकीर को लोगों ने अंतर्मन से स्वीकार नहीं किया। राजनैतिक यथार्थ के स्तर पर उनके वतन की पहचान भले ही बदल गई हो किंतु यह उनका हार्दिक यथार्थ नहीं बन पाया। एक बाध्यता ने उन्हें विस्थापित भले ही कर दिया हो, पर वह उनके दिलों पर कब्जा नहीं कर पाई है। जनता के दिल न आज तक बँटे हैं और न बँटेगे। लोगों के रिश्तेदार, भाई-बंद दोनों देशों में रहते हैं। सभी का अपने दिलों में जन्म स्थली के प्रति गहरा लगाव है। मानचित्र पर खींची गई लकीर लोगों के दिलों को नहीं बाँट सकती। यही इस कहानी का संदेश भी है।