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रजिया सज्जाद जहीर

Question
CBSEENHN12026616

जब उसका सामान कस्टम पर जाँच के लिए बाहर निकाला जाने लगा तो उसे एक झिरझिरी-सी आई और एकदम से उसने फैसला किया कि मुहब्बत का यह तोहफा चोरी से नहीं जाएगा, नमक कस्टमवालों को दिखाएगी वह। उसने जल्दी से पुड़िया निकाली और हैंडबैग में रख ली, जिसमें उसका पैसों का पर्स और पासपोर्ट आदि थे। जब सामान कस्टम से होकर रेल की तरफ चला तो वह एक कस्टम अफसर की तरफ बड़ी। ज्यादातर मेजें खाली हो चुकी थीं। एक-दो पर इक्का-दुक्का सामान रखा था। वहीं एक साहब खड़े थे-लंबा कद, दुबला-पतला जिस्म, खिचड़ी बाल, आँखों पर ऐनक। वे कस्टम अफसर की वर्दी पहने तो थे मगर उन पर वह कुछ जँच नहीं रही थी। साफिया कुछ हिचकिचाकर बोली, “मैं आपसे कुछ पूछना चाहती हूँ।”

उन्होंने नजर भरकर उसे गौर से देखा। बोले, “फरमाइए।”

उनके लहजे ने साफिया की हिम्मत बढ़ा दी, “आप..आप कहाँ के रहने वाले हैं?”

उन्होंने कुछ हैरान होकर उसे फिर गौर से देखा, “मेरा वतन देहली है, आप भी तो हमारी ही तरफ की मालूम होती हैं, अपने अजीजों से मिलने आई होंगी?”

“जी हाँ। मैं लखनऊ की हूँ। अपने भाइयों से मिलने आई थी। वे लोग इधर आ गए हैं। आपको भी तो शायद इधर आए?”

“जी, जब पाकिस्तान बना था तभी आए थे, मगर हमारा वतन तो देहली ही है।”

A.

साफिया ने क्या निश्चय किया और क्या किया?

B.

कस्टम अफसर उन्हें कैसा लगा और उससे क्या पूछा?

C.

कस्टम अफसर ने अपने बारे में क्या बताया?

D.

साफिया ने अपने बारे में क्या बताया?

Solution

A.

साफिया ने यह निश्चय किया कि मुहब्बत का तोहफा (नमक) चोरी से नहीं ले जाएगी। वह इसे कस्टमवालों को दिखाकर ही ले जाएगी। उसने टोकरी से नमक की पुड़िया निकालकार हैंडबैग में रख ली।

B.

कस्टम अफसर दुबले-पतले जिस्म वाला था, उसके बाल खिचड़ी थे तथा आँखों पर चश्मा था। वह साफिया को अफसर सा लगा नहीं। साफिया ने उससे पूछा-आप कहाँ के रहने वाले हैं?

C.

कस्टम अफसर ने अपने बारे में यह बताया कि उसका वतन देहली है। जब पाकिस्तान बना तभी वह यहाँ चला आया था।

D.

लेखिका ने अपने बारे में यह बताया कि मैं लखनऊ की रहने वाली हूँ। यहाँ लाहौर में अपने भाइयों से मिलने आई थी। वे इधर ही रहते हैं।

Some More Questions From रजिया सज्जाद जहीर Chapter

जब उसका सामान कस्टम पर जाँच के लिए बाहर निकाला जाने लगा तो उसे एक झिरझिरी-सी आई और एकदम से उसने फैसला किया कि मुहब्बत का यह तोहफा चोरी से नहीं जाएगा, नमक कस्टमवालों को दिखाएगी वह। उसने जल्दी से पुड़िया निकाली और हैंडबैग में रख ली, जिसमें उसका पैसों का पर्स और पासपोर्ट आदि थे। जब सामान कस्टम से होकर रेल की तरफ चला तो वह एक कस्टम अफसर की तरफ बड़ी। ज्यादातर मेजें खाली हो चुकी थीं। एक-दो पर इक्का-दुक्का सामान रखा था। वहीं एक साहब खड़े थे-लंबा कद, दुबला-पतला जिस्म, खिचड़ी बाल, आँखों पर ऐनक। वे कस्टम अफसर की वर्दी पहने तो थे मगर उन पर वह कुछ जँच नहीं रही थी। साफिया कुछ हिचकिचाकर बोली, “मैं आपसे कुछ पूछना चाहती हूँ।”

उन्होंने नजर भरकर उसे गौर से देखा। बोले, “फरमाइए।”

उनके लहजे ने साफिया की हिम्मत बढ़ा दी, “आप..आप कहाँ के रहने वाले हैं?”

उन्होंने कुछ हैरान होकर उसे फिर गौर से देखा, “मेरा वतन देहली है, आप भी तो हमारी ही तरफ की मालूम होती हैं, अपने अजीजों से मिलने आई होंगी?”

“जी हाँ। मैं लखनऊ की हूँ। अपने भाइयों से मिलने आई थी। वे लोग इधर आ गए हैं। आपको भी तो शायद इधर आए?”

“जी, जब पाकिस्तान बना था तभी आए थे, मगर हमारा वतन तो देहली ही है।”

साफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया?

नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में साफिया के मन में क्या द्वंद्व था?

जब साफिया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी तो कस्टम ऑफिसर निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप क्यों खड़े थे?

‘लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा या मेरा वतन ढाका है’ जैसे उद्गार किस सामाजिक यथार्थ का संकेत करते हैं?

नमक ले जाने के बारे में साफिया के मन में उठे द्वंद्वों के आधार पर उसकी चारित्रिक विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।

‘मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से जमीन और जनता बँट जाती है’ -उचित तर्कों व उदाहरणो के जरिए इसकी पुष्टि करें।

नमक कहानी में भारत व पाक की जनता के आरोपित भेदभावों के बीच मुहब्बत का नमकीन स्वाद खुला हुआ है, कैसे?

क्या सब कानून हकूमत के ही होते हैं, कुछ मुहब्बत, मुरौवत, आदमियत, इंसानियत के नहीं होते?

भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे हावी हो रही थी।