हमारी जमीन, हमारे पानी का मजा ही कुछ और है।
यह बात अमृतसर के कस्टम विभाग में तैनात सुनीलदास गुप्त द्वारा साफिया के सम्मुख अपने वतन ढाका के बारे में कही गई।
उस ऑफिसर को अमृतसर में रहकर भी ढाका का ढाभ, ढाका की जमीन और ढाका का पानी याद आता है। इन्हें याद करके वह भावुक हो उठता है। यही भावना अपने जन्म स्थान के प्रति लगाव को दर्शाती है। यह जीवन भर बनी रहती है।