मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुजर जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।
साफिया नमक की पुड़िया पाकिस्तान के कस्टम आफिसर के सामने रख देती है। वह ऑफिसर देहली को अपना वतन बताता है और लेखिका स्वयं लखनऊ की है। वह सारी बात समझकर नमक की पुड़िया को साफिया के बैग में रखते हुए उपर्युक्त वाक्य कहता है। इस वाक्य के द्वारा वह मुहब्बत और कानून का अंतर स्पष्ट करता है।