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रजिया सज्जाद जहीर

Question
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पंद्रह दिन यों गुजरे कि पता ही नहीं चला। जिमखाना की शामें, दोस्तों की मुहब्बत, भाइयों की खातिरदारियाँ-उनका बस न चलता था कि बिछुड़ी हुई परदेसी बहिन के लिए क्या कुछ न कर दें! दोस्तों, अजीजों की यह हालत है कि कोई कुछ लिए आ रहा है, कोई कुछ। कहाँ रखें, कैसे पैक करें, क्यों कर ले जाएँ-एक समस्या थी। सबसे बड़ी समस्या थी बादामी कागज की एक पुड़िया की जिसमें कोई सेर भर लाहौरी नमक था।

साफिया का भाई एक बहुत बड़ा पुलिस अफसर था। उसने सोचा कि वह ठीक राय दे सकेगा।

चुपके से पूछने लगी, “क्यों भैया, नमक ले जा सकते हैं?”

वह हैरान होकर बोला, “नमक? तो नहीं ले जा सकते, गैरकानूनी है और... और नमक का आप क्या करेंगी? आप लोगों के हिस्से में तो हमसे बहुत ज्यादा नमक आया है।”

वह झुँझला गई, “मैं हिस्से-बखरे की बात नहीं कर रही हूँ, आया होगा। मुझे तो लाहौर का नमक चाहिए, मेरी माँ ने यही मँगवाया है।”

A.

साफिया के पंद्रह दिन कैसे गुजरे?

B.

साफिया के सामने क्या समस्या आई?

C.

साफिया के भाई ने उसे क्या जवाब दिया?

D.

भाई के जवाब पर साफिया की क्या प्रतिक्रिया थी?

Solution

A.

साफिया के पंन्द्रह दिन बहुत मजे में गुजरे। उसे पता ही न चला कि पंद्रह दिन कब बीत गए। लाहौर में उसके भाइयों ने बहुत खातिरदारी की। वह वहाँ दोस्तों की मुहब्बत में खो गई।

B.

साफिया के सामने यह समस्या आई कि वह बादामी कागज में रखे सेर भर नमक को किस प्रकार भारत ले जाए। इसे सिख बीबी ने मँगवाया था अत: ले जाना जरूरी था।

C.

साफिया के भाई ने जो पाकिस्तान की पुलिस मे अफसर था बताया कि सरहद पार नमक ले जाना गैर कानूनी है। साथ में यह भी कहा कि भारत में पाकिस्तान से ज्यादा नमक है।

D.

भाई के जवाब पर साफिया ने कहा कि वह हिस्से की बात नहीं कर रही है। उसे तो लाहौर का नमक चाहिए क्योंकि इसे उसकी माँ ने मँगवाया है।

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