निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
अब तक साफिया का गुस्सा उतर चुका था। भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे उस पर हावी हो रही थी। नमक की पुड़िया ले तो जानी है, पर कैसे? अच्छा, अगर इसे हाथ में ले लें और कस्टमवालों के समाने सबसे पहले इसी को रख दें? लेकिन अगर कस्टमवालों ने न जाने दिया! तो मजबूरी है, छोंड़ देंगे। लेकिन फिर उस वायदे का क्या होगा जो हमने अपनी माँ से किया था? हम अपने को सैयद कहते हैं। फिर वायदा करके झुठलाने के क्या मायने? जान देकर भी वायदा पूरा करना होगा। मगर कैसे? अच्छा, अगर इसे कीनुओं की टोकरी में सबसे नीचे रख लिया जाए तो इतने कीनुओं के ढेर में भला कौन इसे देखेगा? और अगर देख लिया? नहीं जी, फलों की टोकरियाँ तो आते वक्त भी नहीं देखी जा रही थीं। उधर से केले, इधर से कीनू सब ही ला रहे थे, ले जा रहे थे। यही ठीक है, फिर देखा जाएगा।
1. साफिया पर गुस्सा क्यों चढ़ा था?
2. अब क्या स्थिति हो गई?
3. किसने, किससे क्या वायदा किया था? वायदे के प्रति उसका क्या दृष्टिकोण है?
4. साफिया ने किस चीज को कहाँ दिखाया?
1. साफिया पर गुस्सा इसलिए चढ़ा था क्योंकि उसके भाई ने लाहौरी नमक की पुड़िया को भारत ले जाने से मना कर दिया था। इससे उनकी बदनामी होने की संभावना थी। साफिया कानूनी अडचन जानकर गुस्सा हो गई थी।
2. कुछ देर बाद साफिया का गुस्सा उतर गया। तब उस पर भावना की जगह बुद्धि हावी हो गई। भाई के सम्मुख उस पर भावना हावी थी। अब वह बुद्धि से वह उपाय सोचने लगी कि नमक की पुड़िया को किस तरह ले जाया जाए। वह दो उपायों पर विचार करने लगी कि कस्टम वालों को बताकर ले जाए या टोकरी में छिपाकर ले जाए।
3. साफिया ने सिख बीबी से यह वायदा किया था कि वह उनके लिए लाहौरी नमक लेकर आएगी। वह बीबी को माँ मानती है और स्वयं को सैयद कहती है अत: वह हर हालत में वायदा पूरा करके ही रहेगी।
4. साफिया ने नमक की पुड़िया को टोकरी में कीनुओं के ढेर के नीचे छिपाया। उसने सोचा कि कीनुओं के ढेर में इसे भला कौन देख पाएगा। फलों की टोकरी की विशेष जाँच भी नहीं होती।