बाजा़र में भगत जी के व्यक्तित्व का कौन-सा सशक्त पहलू उभरकर आया है? क्या उनका आचरण आज के व्यक्ति के जीवन में तनाव को कम करने में सहायक हो सकता है? ‘बाजार दर्शन’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
इस पाठ में बताया गया है कि भगत जी अशिक्षित हैं। उनमें गहरा ज्ञान भले ही न हो पर उनमें संतोष का भाव अवश्य है। वे केवल वही सामान खरीदते हैं, जिसकी उन्हे आवश्यकता होती है। इसी प्रकार वे उतना सामान (चूरन) बेचते हैं जितने पैसों की उन्हें जरूरत होती है। वे अपने गुजारे लायक पैसे आते ही सामान बेचना बंद कर देते हैं और शेष सामान गरीब बच्चों को मुमुफ्ते देते हैं। उनमें अपना चूरन बाँट देते हैं।
भगत जी का आचरण व्यक्ति की आवश्यकताओं को सीमा में रखने की सीख देता है। इससे व्यक्ति का तनाव कम होता है।