लेखक ने पैसे को पावर क्यों कहा है?
लेखक ने पैसे को पावर कहा है। उसने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि पैसे में बड़ी शक्ति हैँ। पैसा ही क्रयशक्ति पैदा करता है। खरीदने की क्षमता बढ़ने पर व्यक्ति नई-नई चीजों को खरीदने के लिए लालायित होता है। इसी पावर (शक्ति) के बल पर व्यक्ति बाजार के आकर्षण में खो जाता है। वह बिना आवश्यकता के भी चीजें खरीदता है। पैसा ही उसका समाज में स्थान तय करता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि पैसे में पावर है।