लेखक ने पाठ में इस ओर संकेत किया है कि कभी-कभी बाजार में आवश्यकता ही शोषण का रूप धारण कर लेती है। क्या आप इस विचार से सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
प्राय: ऐसा देखा जाता है कि जब हम बाजा़र में दुकानदार के सम्मुख अपनी आवश्यकताओं को प्रकट कर देते हैं तब वह यह जान जाता है कि अमुक वस्तु तौ हमें खरीदनी ही है। अत: वह हमारा शोषण करने पर तुल जाता है। वह अधिक कीमत वसूल कर या घटिया क्वालिटी की वस्तु देकर हमारा शोषण करता है।