बंधु को चिट्टी लिखते समय बेबी किस सोच में पड़ गई?
बेबी सोच में पड़ गई कि कभी किसी को चिट्टी-विट्टी लिखी नहीं। यदि लिखे भी तो बस जैसे-तैसे दूसरों के लिए कुछ प्रेम-पत्र! कुछ समझ में नहीं आता कैसे लिखेगी, क्या लिखेगी। कितना गलत लिखेगी, कितना सही, इसका भी तो कोई ठिकाना नहीं! उसने तातुश से पूछा, उन्हें क्या बोलकर लिखेगी? तातुश बोले, ‘यह तुम्हीं सोचकर देखो।’ बस इतना ध्यान रखना कि वह मुझसे एक वर्ष बड़े हैं। बेबी ने कहा, ‘मैं उन्हें जेठू बोलकर लिखूँगी।’ तातुश बोले, ‘तुम्हारी जैसी मरजी।’ बेबी ने जेठू बोलकर ही अपनी चिट्टी लिखी। चिट्टी लिखने का सिर-पैर वह जानती नहीं थी फिर भी जैसे बन पड़ा लिखा।