Sponsor Area

मियाँ नसीरुद्दीन

Question
CBSEENHN11012207

भाव व शिल्प सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

असुवन जल सींचि-सींचि, प्रेम-बेलि बोयी

अब त बेलि फैलि गई, आणंद फल होयी

Solution

भाव सौंदर्य - मीरा ने भारी कष्ट सहकर कृष्ण-प्रेम की बेल बाई हैं अर्थात् भारी कष्टों के मध्य मीरा के हृदय में कृष्ण-प्रेम उत्पन्न हुआ है। अब तो इस बैल के फलने-फूलने का समय आया है अर्थात् अब उसे कृष्ण-प्रेम के परिणामस्वरूप आनंद-रूपी फल को प्राप्ति होने वाली है, अत: वह इससे वंचित नहीं होता चाहेगी।

शिल्प-सौंदर्य- ‘सींचि-सींचि’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार

- ‘प्रेम -बेलि’ तथा ‘आणंद-फल’ में रूपक अलंकार है

- ब्रज एवं राजस्थानी भाषा का मिश्रित श्रेत रूप है।

Some More Questions From मियाँ नसीरुद्दीन Chapter

मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर किसी दबे हुए अंधड़ के आसार देख यह मजमून न छेड़ने का फैसला किया- इस कथन के पहले और बाद के प्रसंग का उल्लेख करते हुए इसे स्पष्ट कीजिए।

पाठ में मियां नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखक ने कैसे खींचा है?

मियाँ नसीरुद्दीन की कौन-सी बातें आपको अच्छी लगीं?

तालीम की तालीम ही बड़ी चीज होती है-यहाँ लेखक ने तालीम शब्द का दो बार प्रयोग क्यों किया है ? क्या आप दूसरी बार आए तालीम शब्द की जगह कोई अन्य शब्द रख सकते हैं? लिखिए ।

मियां नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं, जिसने अपने खानदानी व्यवसाय को अपनाया । वर्तमान समय में प्राय : लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं । ऐसा क्यों? 

मियां, कहीं अखबारनवीस तो नहीं हो? वह तो खोजियों की खुराफात है-अखबार की भूमिका को देखते हुए इस पर टिप्पणी करें ।

‣ पाठ में आए रोटियों के अलग- अलग नामों की सूची बनाएं और इनके बारे में जानकारी प्राप्त करें ।

तीन-चार वाक्यों में अनुकूल प्रसंग तैयार कर नीचे दिए गए वाक्यों का इस्तेमाल करें ।

(क) पंचहजारी अंदाज से सिर हिलाया ।

(ख) आँखों के कंचे हम पर फेर दिए ।

(ग) आ बैठे उन्हीं के ठीये पर ।

बिटर-बिटर देखना-यहाँ देखने के एक खास तरीके को प्रकट किया गया है? देखने -संबंधी इस प्रकार के चार क्रिया-विशेषणों के वाक्य बनाइए ।

नीचे दिए वाक्यों में अर्थ पर बल देने के लिए शब्द-क्रम परिवर्तित किया गया है । सामान्यत: इन वाक्यों को किस कम में लिखा जाता है? लिखें ।

(क) मियाँ मशहूर हैं छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए।

(ख) निकाल लेंगे वक्त थोड़ा।

(ग) दिमाग में चक्कर काट गई है बात।

(घ) रोटी जनाब पकती है आँच से।