इस कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
कवि भवानीप्रसाद मिश्र की ‘घर की याद’ एक प्रसिद्ध कविता है। इस कविता की रचना जेल में की गई है। ‘घर की याद’ के अंतर्गत कवि को सावन की बरसात की झड़ी में जेल में पिता जी की याद आती है। अब कवि को बरसते पानी के साथ-साथ अपना घर स्मृति-पटल पर दिखाई देता है। पिता के प्रति सच्चे पितृ-प्रेम का प्रदर्शन इस ‘पिता’ कविता का मुख्य लक्ष्य है। इस कविता में कवि सावन द्वारा पिताजी को संदेश भेजता है। संदेश में सावन को अपना सबकुछ बता देता है, परन्तु केवल सुखात्मक अनुभूतियों से ही पिता को अवगत कराना चाहता है। कवि की जेल की यातनाओं को जानकर पिताजी दुखी होंगे और आँसू बहाएंगे। इसलिए कवि सावन से सब कुछ बकने के लिए मना करता है। पिताजी इस उस में भी बुढ़ापे से दूर हैं क्योंकि वे दौड़- भाग करते हैं, काम करते हैं, रोज व्यायाम करते हैं, खूब हँसमुख हैं। उनका शरीर विशाल है और व्रज के समान मजबूत भुजाएँ हैं परन्तु उनका हृदय बरगद के वृक्ष की भाँति संवेदनशील और कोमल है।