-->

भवानी प्रसाद मिश्र

Question
CBSEENHN11012296

इस कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।

Solution

कवि भवानीप्रसाद मिश्र की ‘घर की याद’ एक प्रसिद्ध कविता है। इस कविता की रचना जेल में की गई है। ‘घर की याद’ के अंतर्गत कवि को सावन की बरसात की झड़ी में जेल में पिता जी की याद आती है। अब कवि को बरसते पानी के साथ-साथ अपना घर स्मृति-पटल पर दिखाई देता है। पिता के प्रति सच्चे पितृ-प्रेम का प्रदर्शन इस ‘पिता’ कविता का मुख्य लक्ष्य है। इस कविता में कवि सावन द्वारा पिताजी को संदेश भेजता है। संदेश में सावन को अपना सबकुछ बता देता है, परन्तु केवल सुखात्मक अनुभूतियों से ही पिता को अवगत कराना चाहता है। कवि की जेल की यातनाओं को जानकर पिताजी दुखी होंगे और आँसू बहाएंगे। इसलिए कवि सावन से सब कुछ बकने के लिए मना करता है। पिताजी इस उस में भी बुढ़ापे से दूर हैं क्योंकि वे दौड़- भाग करते हैं, काम करते हैं, रोज व्यायाम करते हैं, खूब हँसमुख हैं। उनका शरीर विशाल है और व्रज के समान मजबूत भुजाएँ हैं परन्तु उनका हृदय बरगद के वृक्ष की भाँति संवेदनशील और कोमल है।

Some More Questions From भवानी प्रसाद मिश्र Chapter

पाँचवाँ मैं हूँ अभागा,
जिसे सोने पर सुहागा
पिता जी कहते रहे हैं,
प्यार में बहते रहे हैं,
आज उनके स्वर्ण बेटे,
लगे होंगे उन्हें हेटे
क्योंकि मैं उनपर सुहागा
बँधा बैठा हूँ अभागा,

और माँ ने कहा होगा,
दुःख कितना बहा होगा,
आँख में किस लिए पानी
वहाँ अच्छा है भवानी
वह तुम्हारा मन समझकर,
और अपनापन समझकर,
गया है सो ठीक ही है,
यह तुम्हारी लीक ही है,
पाँव जो पीछे हटाता,
कोख को मेरी लजाता,
इस तरह होओ न कच्चे,
रो पड़ेंगे और बच्चे,
पिता जी ने कहा होगा,
हाय, कितना सहा होगा,
कहाँ, मैं रोता कहाँ हूँ,
धीर मैं खोता कहाँ हूँ,

हे सजीले हरे सावन,
हे कि मेरे पुण्य पावन,
तुम बरस लो वे न बरसें,
पाँचवें को वे न तरसें,
मैं मजे में हूँ सही है,
घर नहीं हूँ बस यही है,
किंतु यह बस बड़ा बस है,
इसी बस से सब विरस है,

किंतु उनसे यह न कहना
उन्हें देते धीर रहना,
उन्हें कहना लिख रहा हूँ,
उन्हें कहना पढ़ रहा हूँ।
काम करता हूँ कि कहना,
नाम करता हूँ कि कहना,
चाहते हैं लोग कहना,
मत करो कुछ शोक कहना,

और कहना मस्त हूँ मैं,
कातने में व्यस्त हूँ मैं,
वजन सत्तर सेर मेरा,
और भोजन ढेर मेरा,
कूदता हूँ, खेलता हूँ,
दू:ख डट कर ठेलता हूँ,
और कहना मस्त हूँ, मैं,
यों न कहना अस्त हूँ मैं,
हाय रे, ऐसा न कहना,
है कि जो वैसा न कहना,
कह न देना जागता हूँ,
आदमी से भागता हूँ,

कह न देना मौन हूँ मैं,
खुद ना समझुँ कौन हूँ मैं,
देखना कुछ बक न देना,
उन्हें कोई शक न देना,
हे सजीले हरे सावन,
हे कि मेरे पुण्य पावन,
तुम बरस लो वे न बरसें,
पाँचवें को वे न तरसें।,

पानी के रात- भर गिरने और प्राण-मन के घिरने में परस्पर क्या संबंध है?

मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को ‘परिताप का घर’ क्यों कहा है?

पिता के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं को उकेरा गया है?

निम्नलिखित पंक्तियों में ‘बस’ शब्द के प्रयोग की विशेषता बताइए।

मैं मजे में हूँ सही है

घर नहीं हूँ बस यही है

किंतु यह बस बड़ा बस है,

इसी बस से बस विरस है।