“और कहना मस्त हूँ मैं, यों न कहना अस्त हूँ मैं।” पंक्तियों में कवि क्या कहना चाहता है?
कवि भवानीप्रसाद मिश्र ‘पिता’ नामक कविता में सावन द्वारा पिता को संदेश भेजते हैं। इस संदेश में वे सभी सुखात्मक पहलू पिता को बताना चाहते हैं, परन्तु दु:खात्मक पहलुओं को छिपाना भी चाहते हैं। वे सावन से कहते हैं कि मैं यहाँ हर प्रकार सुखी और मस्त हूँ खूब खाता-पीता हूँ, खेलता-कूदता हूँ, पढ़ता-लिखता रहता हूँ। मुझे यहाँ किसी भी प्रकार का कोई कष्ट नहीं है। यह सारा संदेश तो पिताजी से कहना परन्तु मेरी उदासी और जेल की यातनाओं की कोई बात पिताजी से मत कहना, नहीं तो उन्हें अपार कष्ट होगा और उनकी अश्रुधारा बहने लगेगी।