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भवानी प्रसाद मिश्र

Question
CBSEENHN11012269

जब कि नीचे आए होंगे
नैन जल से छाए होंगे,
हाय, पानी गिर रहा है,
घर नजर में तिर रहा है,
चार भाई चार बहिनें,
भुजा भाई प्यार बहिनें,
खेलते या खड़े होंगे,
नजर उनको पड़े होंगे।
पिता जी जिनको बुढ़ापा
एक क्षण भी नहीं व्यापा,
रो पड़े होंगे बराबर,
पाँचवें का नाम लेकर

Solution

प्रसंग- प्रस्तुत काव्याशं भवानीप्रसाद मिश्र द्वारा रचित कविता ‘घर की याद’ से अवतरित है। कवि जेल में बैठकर घर के सदस्यों को याद करता है। यहाँ वह अपने पिता की विशेषताओं का उल्लेख कर रहा है।

व्याख्या-कवि याद करता है कि जब उसके पिताजी घर में ऊपर से नीचे आए होंगे तब उनकी आँखों में आँसू अवश्य आए होंगे। जब उन्हें उनका बेटा (भवानी) दिखाई नहीं पड़ा होगा। और उसे याद करके उनकी आँखें भर आई होंगी। कवि जेल में बैठकर देखता है कि बाहर काफी वर्षा जल बरस रहा है और इस वातावरण में उसकी नजरों में घर की झलक उभर रही है। उसे घर की याद सताती है।

घर में चार भाई और चार बहनें हैं। भाई भुजाओं के समान हैं तो बहनें प्रेम-प्यार का प्रतीक हैं। वे सभी घर में खेलते होंगे या वहीं खड़े होंगे। इस अवस्था में पिता की नजर उन पर अवश्य पड़ी होगी।

यद्यपि पिताजी की आयु काफी है, पर बुढ़ापा उनके पास अभी तक नहीं फटका है। वे एक क्षण को भी बुढ़ापे का अनुभव नहीं करते। जब उन्हें अपने पाँचवें बेटे (भवानी प्रसाद) की याद आई होगी, तब वे रो पड़े होंगे। मेरी स्मृति ने उन्हें रुला दिया होगा।

विशेष: (1) कवि घर के वातावरण की सहज कल्पना करता है तथा पिताजी के स्वभाव पर प्रकाश डालता है।

(2) ‘भुजा भाई’ में अनुप्रास अलंकार सहज रूप से आ गया है।

Some More Questions From भवानी प्रसाद मिश्र Chapter

किंतु उनसे यह न कहना
उन्हें देते धीर रहना,
उन्हें कहना लिख रहा हूँ,
उन्हें कहना पढ़ रहा हूँ।
काम करता हूँ कि कहना,
नाम करता हूँ कि कहना,
चाहते हैं लोग कहना,
मत करो कुछ शोक कहना,

और कहना मस्त हूँ मैं,
कातने में व्यस्त हूँ मैं,
वजन सत्तर सेर मेरा,
और भोजन ढेर मेरा,
कूदता हूँ, खेलता हूँ,
दू:ख डट कर ठेलता हूँ,
और कहना मस्त हूँ, मैं,
यों न कहना अस्त हूँ मैं,
हाय रे, ऐसा न कहना,
है कि जो वैसा न कहना,
कह न देना जागता हूँ,
आदमी से भागता हूँ,

कह न देना मौन हूँ मैं,
खुद ना समझुँ कौन हूँ मैं,
देखना कुछ बक न देना,
उन्हें कोई शक न देना,
हे सजीले हरे सावन,
हे कि मेरे पुण्य पावन,
तुम बरस लो वे न बरसें,
पाँचवें को वे न तरसें।,

पानी के रात- भर गिरने और प्राण-मन के घिरने में परस्पर क्या संबंध है?

मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को ‘परिताप का घर’ क्यों कहा है?

पिता के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं को उकेरा गया है?

निम्नलिखित पंक्तियों में ‘बस’ शब्द के प्रयोग की विशेषता बताइए।

मैं मजे में हूँ सही है

घर नहीं हूँ बस यही है

किंतु यह बस बड़ा बस है,

इसी बस से बस विरस है।

कविता की अंतिम 12 पंक्तियों को पढ़कर कल्पना कीजिए कि कवि अपनी किस स्थिति व मनःस्थिति को अपने परिजनों से छिपाना चाहता है?

ऐसी पाँच रचनाओं का संकलन कीजिए, जिसमें प्रकृति के उपादानों की कल्पना संदेशवाहक के रूप में की गई है।

घर से अलग होकर आप घर को किस तरह से याद करते हैं? लिखें।