जब कि नीचे आए होंगे
नैन जल से छाए होंगे,
हाय, पानी गिर रहा है,
घर नजर में तिर रहा है,
चार भाई चार बहिनें,
भुजा भाई प्यार बहिनें,
खेलते या खड़े होंगे,
नजर उनको पड़े होंगे।
पिता जी जिनको बुढ़ापा
एक क्षण भी नहीं व्यापा,
रो पड़े होंगे बराबर,
पाँचवें का नाम लेकर
प्रसंग- प्रस्तुत काव्याशं भवानीप्रसाद मिश्र द्वारा रचित कविता ‘घर की याद’ से अवतरित है। कवि जेल में बैठकर घर के सदस्यों को याद करता है। यहाँ वह अपने पिता की विशेषताओं का उल्लेख कर रहा है।
व्याख्या-कवि याद करता है कि जब उसके पिताजी घर में ऊपर से नीचे आए होंगे तब उनकी आँखों में आँसू अवश्य आए होंगे। जब उन्हें उनका बेटा (भवानी) दिखाई नहीं पड़ा होगा। और उसे याद करके उनकी आँखें भर आई होंगी। कवि जेल में बैठकर देखता है कि बाहर काफी वर्षा जल बरस रहा है और इस वातावरण में उसकी नजरों में घर की झलक उभर रही है। उसे घर की याद सताती है।
घर में चार भाई और चार बहनें हैं। भाई भुजाओं के समान हैं तो बहनें प्रेम-प्यार का प्रतीक हैं। वे सभी घर में खेलते होंगे या वहीं खड़े होंगे। इस अवस्था में पिता की नजर उन पर अवश्य पड़ी होगी।
यद्यपि पिताजी की आयु काफी है, पर बुढ़ापा उनके पास अभी तक नहीं फटका है। वे एक क्षण को भी बुढ़ापे का अनुभव नहीं करते। जब उन्हें अपने पाँचवें बेटे (भवानी प्रसाद) की याद आई होगी, तब वे रो पड़े होंगे। मेरी स्मृति ने उन्हें रुला दिया होगा।
विशेष: (1) कवि घर के वातावरण की सहज कल्पना करता है तथा पिताजी के स्वभाव पर प्रकाश डालता है।
(2) ‘भुजा भाई’ में अनुप्रास अलंकार सहज रूप से आ गया है।