‘तुम बरस लो, वे न बरसें’ कथन का क्या आशय है?
‘पिता’ कविता में कवि सावन से कहता है -‘तुम बरस लो, वे न बरसें’, अर्थात् हे सावन! तुम तो जी भरके बरस लो पर वहाँ जाकर कोई ऐसा संदेश पिताजी को मत दे देना कि उनकी अश्रुधारा बरस पड़े। कवि पिता की आँखों में आँसू नहीं चाहता है।