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रामनरेश त्रिपाठी

Question
CBSEENHN11012245

निम्नलिखित काव्यांशों में निहित काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए:

निकल रहा है जलनिधि तल पर दिनकर-बिंब अधुरा।
कमला के कंचन मंदिर का मानो कांत कँगूरा।।

Solution

भाव-सौंदर्य-इन काव्य-पक्तियों में कवि समुद्र की जल-सतह पर सूर्य के अधूरे बिंब के सौंदर्य को दर्शा रहा है। यह बिंब अधूरा है, अत: कँगूरे की भांति दिखाई देता है। यह देवी लक्ष्मी के मंदिर का सुंदर कँगूरा लगता है। अभी पूरा सूर्य निकलने में थोड़ी देर है।

शिल्प-सौंदर्य-

-‘दिनकर-बिंब’ में कंगूरे की संभावना व्यक्त की गई है, अत: उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रयोग है।

-‘कमला के कंचन’, ‘मंदिर का मानो’ तथा ‘कांत कंगूरा’ में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।

-तत्सम शब्द-प्रधान खड़ी बोली क्य प्रयोग है।

Some More Questions From रामनरेश त्रिपाठी Chapter

पथिक का मन कहाँ विचरना चाहता है?

सूर्योदय वर्णन के लिए किस तरह के बिंबों का प्रयोग हुआ है?

आशय स्पष्ट करें-
सस्मित-वदन जगत का स्वामी मृदु गति से आता है।
तट पर खड़ा गगन-गंगा के मधुर गीत गाता है।

आशय स्पष्ट करें-
कैसी मधुर मनोहर उज्ज्वल है यह प्रेम-कहानी।
जी में है अक्षर बन इसके बनूँ विश्व की बानी।

कविता में कई- स्थानों पर प्रकृति को मनुष्य के रूप में देखा गया है। एसे उदाहरणों का भाव स्पष्ट करते हुए लिखो।

समुद को देखकर आपके मन में क्या भाव उठते हैं? लगभग 200 शब्दों में लिखें।

प्रेम सत्य है, सुंदर है-प्रेम के विभिन्न रूपों को ध्यान में रखते हुए इस विषय पर परिचर्चा करें।

वर्तमान समय में हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं - इस पर चर्चा करें और लिखें कि प्रकृति से जुड़े रहने के लिए क्या कर सकते हैं।

सागर संबंधी दस कविताओं का संकलन करें और पोस्टर बनाएँ।

‘पथिक’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।