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रजनी

Question
CBSEENHN11012102

आपने दूरदर्शन या सिनेमा हॉल में अनेक चलचित्र देखें होंगे। पर्दे पर चीजें जिस सिलसिलेवार ढंग से चलती हैं उसमें पटकथा का विशेष योगदान होता है। पटकथा कई महत्त्वपूर्ण संकेत देती है, जैसे-

∙ कहानी/कथा,
∙ संवादों की विषय-वस्तु,
∙ संवाद अदायगी का तरीका
∙ आस-पास का वातावरण/दृश्य
∙ दृश्य का बदलना



Solution

यह काम विद्यार्थी अपनी रुचि अनुसार करें।

Some More Questions From रजनी Chapter

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
कैसी बात करती हो? मैं एक बार काट भी हूँ लेकिन अमित! अपने मुँह में डालने से पहले रसमलाई लेकर तुम्हारे फ्लैट में दौड़ता है। मैं कोई भी चीज घर में बनाऊँ या बाहर से लाऊँ, अमित जब तक तुम्हारे भोग नहीं लगा लेता, हम लोग खा थोड़े ही सकते हैं। रजनी आँटी तो हीरो हैं उसकी। 
1. यह संवाद कौन, किसको कह रहा है?
2. संवाद का पूर्व प्रसगं बताइए।
3. अमित आंटी को क्या समझता है?>

रजनी ने अमित के मुद्दे को गंभीरता से लिया, क्योंकि -

जब किसी का बच्चा कमजोर होता है, तभी उसके मां-बाप ट्यूशन लगवाते हैं। अगर लगे कि कोई टीचर लूट रहा है, तो उस टीचर से न ले ट्यूशन, किसी और के पास चले जाएँ...यह कोई मजबूरी तो है नहीं-प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताएँ कि यह संवाद आपको किस सीमा तक सही या गलत लगता है तर्क दीजिए।

तो एक और आदोलन का मसला मिल गया - फुसफुसाकर कही गई यह बात-

(क) किसने किस प्रसंग में कही?

(ख) इससे कहने वाले की किस मानसिकता का पता चलता है।

‘रजनी’ धारावाहिक की इस कड़ी की मुख्य समस्या क्या है? क्या होता अगर-

(क) अमित का पर्चा सचमुच खराब होता।

(ख) संपादक रजनी का साथ न देता।

गलती करने वाला तो है ही गुनहगार, पर उसे बर्दाश्त करने वाला भी कम गुनहगार नहीं होता-इस संवाद के संदर्भ में आप सबसे ज्यादा किसे और क्यों गुनहगार मानते हैं?

स्त्री के चरित्र की बनी बनाई धारणा से रजनी का चेहरा किन मायनों में अलग है?

पाठ के अंत में मीटिंग के स्थान का विवरण कोष्ठक में दिया गया है। यदि इसी दृश्य को फिल्माया जाए तो आप कौन-कौन से निर्देश देंगे?

इस पटकथा में दृश्य-संख्या का उल्लेख नहीं है। मगर गिनती करें तो सात दृश्य हैं। आप किस आधार पर इन दृश्यों को अलग करेंगे?

निम्नलिखित वाक्यों के रेखांकित अंश में जो अर्थ निहित हैं, उन्हें स्पष्ट करते हुए लिखिए-

(i) वरना तुम तो मुझे काट ही देतीं।

(ii) अमित जब तक तुम्हारे भोग नहीं लगा लगा लेता, हम लोग खा थोडे ही सकते हैं।

(iii) बस-बस, मैं समझ गया।