निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
मैं ऊंचाई के माप के चक्कर में नहीं हूं। न इनसे होड़ लगाने के पक्ष में हूं। वह एक बार लोसर में जो कर लिया सो बस है। इन ऊंचाइयों से होड़ लगाना मृत्यु है। हां, कभी-कभी उनका मान-मर्दन करना मर्द और औरत की शान है। मैं सोचता हूँ कि देश और दुनिया के मैदानों से और पहाडों से युवक-युवतियां आएं और पहले तो स्वयं अपने अहंकार को गलाएँ-फिर इन चोटियों के अहंकार को चूर करें। उस आनंद का अनुभव करें जो साहस और कूवत से यौवन में ही प्राप्त होता है। अहंकार का ही मामला नहीं है। ये माने की चोटियाँ बूढ़े लामाओं के जाप से उदास हो गई हैं। युवक-युवतियां किलोल करें तो यह भी हर्षित हों। अभी तो इन पर स्पीति का आर्तनाद जमा हुआ है। वह इस युवा अट्टहास की गरमी से कुछ तो पिघले। यह एक युवा निमंत्रण है।
1. लेखक क्या नहीं चाहता और क्यों?
2. लेखक क्या चाहता है? क्या?
3. माने की चोटियों की उदासी क्यों है और इसे कैसे दूर किया जा सकता है?
1. लेखक यह नहीं चाहता कि ऊँचाई के माप के चक्कर में पड़ा जाए। वह होड़ लगाने के पक्ष में भी नहीं है। इसका कारण यह है कि ऊँचाइयों से होड़ लगाना मृत्यु को बुलावा देना है।
2. लेखक यह चाहता है कि देश और दुनिया के मैदानों से युवक-युवतियाँ यहाँ स्पीति में आएँ। पहले वे अपने अहंकार को गलाकर मिटाएँ, फिर इन चोटियों के अहंकार को समाप्त करें। इससे उन्हें आनंद की प्राप्ति होगी।
3. माने की चोटियों पर बूढ़े लामाओं ने मंत्र का बहुत जाप किया है जिससे यहाँ का वातावरण नीरस हो गया है, इसे दूर करना आवश्यक है।
यदि युवक-युवतियाँ यहाँ एकत्रित होकर मुक्त अट्टाहास करें तो कुछ हँसी-खुशी का वातावरण बन सकेगा। उदासी दूर होकर किलोल का महौल बन जाएगा।