स्पर्श भाग १ Chapter 2 दुःख का अधिकार - यशपाल
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    NCERT Solution For Class 9 About 2.html स्पर्श भाग १

    दुःख का अधिकार - यशपाल Here is the CBSE About 2.html Chapter 2 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 About 2.html दुःख का अधिकार - यशपाल Chapter 2 NCERT Solutions for Class 9 About 2.html दुःख का अधिकार - यशपाल Chapter 2 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 About 2.html.

    Question 1
    CBSEENHN9000430

    निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
    मनुष्यों की पोशाकें उन्हें विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती हैं। प्राय: पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्जा निश्चित करती है। वह हमारे लिए अनेक बंद दरवाजे खोल देती है, परंतु कभी ऐसी भी परिस्थिति आ जाती है कि हम ज़रा नीचे झुककर समाज की निचली श्रेणियों को अनुभूति को समझना चाहते हैं। उस समय यह पोशाक ही बंधन और अड़चन बन जाती है। जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं, उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।

    (क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो?
    (ख) पोशाकें मनुष्य को कैसे बाँटती है?
    (ग) पोशाक से मनुष्य के बद दरवाजे किस प्रकार खुलते है?
    (घ) पोशाक कब अड़चन बन जाती है?


    Solution

    (क) पाठ-दुःख का अधिकार, लेखक-यशपाल।
    (ख) पोशाकें मनुष्य को विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती है। ये पोशाकें ही मनुष्य को उसका अधिकार दिलाती है तथा समाज में उसका दर्जा निश्चित करती है। यदि कोई व्यक्ति अच्छी, महंगी, चमकदार पोशाक पहनता है तो वह अमीर और उच्च वर्ग का माना जाता है। साधारण पोशाक पहनने वाला गरीब व निम्न वर्ग का माना जाता है।
    (ग) अच्छी पोशाक पहनने से मनुष्य के बंद दरवाजे खुल जाते है। समाज मे अच्छी पोशाक पहनने वाले को भला आदमी माना जाता है। उसका आदर-सत्कार किया जाता है। किसी दफत्तर आदि में जाता है तो उसकी बात ध्यान से सुनी जाती है।
    (घ) जब हम समाज की निम्न श्रेणी के दुःख को देखकर झुकना चाहते है। अर्थात् उसके दुःख का कारण जानना चाहते है तो उच्च भावना के कारण झुक नहीं पाते। उन लोगों के साथ खुलकर बात नहीं कर पाते। तब यह पोशाक हमारे सामने रूकावट बन जाती है।

    Question 2
    CBSEENHN9000431

    निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
    जिंदा आदमी नंगा भी रह सकता है, परंतु मुर्दे को नंगा कैसे विदा किया जाए? उसके लिए तो बजाज की दुकान से नया कपड़ा लाना ही होगा, चाहे उसके लिए माँ के हाथों के छन्नी-ककना की क्यों न बिक जाएँ।
    भगवाना परलोक चला गया। घर में जो कुछ चूनी-भूसी थी सो उसे विदा करते में चली गई। बाप नहीं रहा तो क्या, लड़के सुबह उठते ही भूख से बिलबिलाने लगे। दादी ने उन्हें खाने के लिए खरबूजे दे दिए लेकिन बहू को क्या देती? बहू का बदन बुखार से तवे की तरह तप रहा था। अब बेटे के बिना बुढ़िया को दुअन्नी-चवन्नी भी कौन उधार देता।
    बुढ़िया रोते-रोते और आँखें पोंछते-पोंछते भगवाना के बटोरे हुए खरबूजे डलिया में समेटकर बाज़ार की ओर चली-और चारा भी क्या था?
    प्रशन:
    (क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो।
    (ख) लेखक ने समाज की किस कुप्रथा पर व्यंग्य किया है?
    (ग) भगवाना की माँ के सामने कौन-सी समस्या आ खड़ी हुई?
    (घ) भगवाना की माँ ने बच्चों का पेट भरने का प्रबधं कैसे किया?

    Solution

    (क) पाठ-दुःख का अधिकार, लेखक-यशपाल।
    (ख) लेखक ने समाज में शव को नया कफ़न ओढ़ाने की कुप्रथा पर व्यंग्य किया है। ऐसा मनुष्य जो जीते-जी अपने लिए कपड़ो का प्रबंध नहीं कर पाता: उसके मरने पर उसे नया कफन दिया जाता है। कफन जुटाने में चाहे परिवार वालों के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाए। यह प्रथा वास्तव में गरीबों की विवशता है।
    (ग) भगवाना की मृत्यु के बाद उसकी माँ के सामने परिवार का पेट भरने की समस्या आ खड़ी हुई घर में अनाज नहीं था। बहू बुखार से तप रही थी। उसकी दवाई की व्यवस्था करनी थी। उसके अपना छन्नी-ककना बेचकर कफन का कपड़ा खरीदा था। इस प्रकार उस पर एक-के बाद अनेक समस्याएँ आ खड़ी हुई।
    (घ) भगवाना की माँ ने बच्चों का पेट भरने के लिए खेत से तोड़े गए खरबूजे उसे खाने को दे दिए। इस प्रकार जैसे-तैसे उनका पेट भर सका।

    Question 3
    CBSEENHN9000432

    निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
    बुढ़िया खरबूज़े बेचने का साहस करके आई थी, परंतु सिर पर चादर लपेटे, सिर को घुटनों पर टिकाए हुए फफक-फफककर रो रही थी।
    कल जिसका बेटा चल बसा, आज वह बाजार में सौदा बेचने चली है, हाय रे पत्थर-दिल!
    उस पुत्र-वियोगिनी के दुःख का अंदाजा लगाने के लिए पिछले साल अपने पड़ोस में पुत्र की मृत्यु से दुःखी माता की बात सोचने लगा। वह संभ्रांत महिला पुत्र की मृत्यु के बाद अढ़ाई मास तक पलंग से उठ न सकी थी। उन्हें पन्द्रह-पन्द्रह मिनट बाद पुत्र-वियोग से पूछा आ जाती थी और मूर्छा ने आने की अवस्था में आँखों से आँसू न रुक सकते थे। दो-दो डॉक्टर हरदम सिरहाने बैठे रहते थे। हरदम सिर पर बरफ़ रखी जाती थी। शहर भर के लोगों के मन उस पुत्र-शोक से द्रवित हो उठे थे।
    जब मन को सूझ का रास्ता नहीं मिलता तो बेचैनी से कदम तेज हो जाते हैं। उसी हालत में नाक ऊपर उठाए, राह चलतों से ठोकरें खाता मैं चला जा रहा था। सोच रहा था-
    शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और.... दुःखी होने का भी एक अधिकार होता है।
    प्रशन:
    (क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो?
    (ख) बुढ़िया को पत्थर दिल क्यों कहा गया है वह क्यों रो रही थी?
    (ग) संभ्रात महिला ने पुत्र-शोक में कैसा व्यवहार किया?
    (घ) संभ्रात महिला के दुःख को दूर करने के लिए कैसे-कैसे प्रयत्न किए गए?
    (ङ) लेखक ने किसके लिए सहूलियत की माँग की हे और क्यों?

    Solution

    (क) पाठ-दुःख का अधिकार, लेखक-यशपाल।
    (ख) बुढ़िया की स्थिति से अनजान लोगों ने उसे पत्थर दिल कहा। लोगों को इतना ही पता था कि एक दिन पहले बुढ़िया का जवान बेटा मरा है। और अगले दिन वह खरबूजे बेचने आ गई है। उसे लागों ने कठोर माँ समझा। परन्तु वे उसकी मज़बूरी न समझ सके। बुढ़िया इसलिए रो रही थी क्योंकि उसका जवान बेटा मर गया था।
    (ग) संभ्रात महिला पुत्र-शोक से मूर्च्छित हो गई। उसे पन्द्रह-पन्द्रह मिनट बाद मूर्छा आ जाती थी। इस प्रकार पुत्र वियोग के कारण उसने ढाई मास पलंग पर बिता दिए।
    (घ) संभ्रांत महिला के दुःख को कम करने के लिए अनेक डॉक्टर बुलाए गए। दो-दो डॉक्टर हमेशा उसके सिरहाने बैठे रहते थे। उसके सिर पर हमेशा बर्फ रखी जा रही थी। इस प्रकार उसे प्रयत्न करके सँभाला जा रहा था।
    (ङ) लेखक ने समाज के प्रत्येक दुखी व्यक्ति को अपना दुःख मनाने का अवसर देने की माँग की है। इस प्रकार शौक मनाने की सुविधा मिलने से उसके मन पर पड़ा दुःख का भार कम हो जाएगा। जैसे रोने से मन हल्का हो जाता है वैसे ही शोक मनाने से दुःख दूर हो जाता है।

    Question 4
    CBSEENHN9000433

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए-
    किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें क्या पता चलता है?

    Solution
    किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें समाज में उसका दर्जा और अधिकार का पता चलता है तथा उसकी अमीरी-गरीबी की श्रेणी का भी पता चलता है।
    Question 5
    CBSEENHN9000434

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए-
    खरबूज़े बेचने वाली स्त्री से कोई खरबूज़े क्यों नहीं खरीद रहा था?

    Solution

    खरबूज़े बेचनेवाली स्त्री से कोई खरबूज़े इसलिए नहीं खरीद रहा था क्योंकि वह घुटनों में सिर गड़ाये फफक-फफक कर रो रही थी। इसके बेटे की मृत्यु के कारण लगे सूतक के कारण लोग इससे खरबूज़े नहीं ले रहे थे।

    Question 6
    CBSEENHN9000435

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए-
    उस स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा?

    Solution
    उस स्त्री को देखकर लेखक को उसके प्रति सहानुभूति की भावना उत्पन्न हुई थी। उसे देखकर लेखक का मन व्यथित हो उठा। वह नीचे झुककर उसकी अनुभूति को समझना चाहता था तब उसकी पोशाक इसमें अड़चन बन गई।
    Question 7
    CBSEENHN9000436

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए-
    उस स्त्री के लड़के की मृत्यु का कारण क्या था?

    Solution
    उस स्त्री का लड़का तेईस बरस का था। लड़का शहर के पास डेढ़ बीघा जमीन पर खेती करके परिवार का गुजारा करता था। एक दिन वह सुबह मुंह-अंधेरे खेत में बेलों से पके खरबूज़े चुन रहा था कि गीली मेड़ की तरावट में आराम करते हुए सांप पर उसका पैर पड़ गया और साँप ने उस लड़के को डस लिया। ओझा के झाड़-फूंक आदि का उस पर कोई प्रभाव न पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई।
    Question 8
    CBSEENHN9000437

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए-
    बुढ़िया को कोई भी क्यों उधार नहीं देता?

    Solution
    उस बुढ़िया का बेटा मर चुका था। लोगों को पता था कि बुढ़िया को दिए उधार के लौटाने की कोई संभावना नहीं है। इसलिए अब बुढ़िया को कोई भी उधार देने को तैयार नहीं था।
    Question 9
    CBSEENHN9000438

    निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
    (क) 
    मुनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्व है?

    Solution
    मनुष्य की पहचान उसकी पोशाक से होती है। यह पोशाक ही मनुष्य को समाज में अधिकार दिलाती है। उसका दर्जा निश्चित करती है। जीवन के बंद दरवाजें खोल देता है। यदि हम समाज की निचली श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैं तो ऐसी स्थिति में हमारी पोशाक हमारे लिए बंधन और अड़चन बन जाती है। ठीक उसी प्रकार जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देती। उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने में रोक रखती है।
    Question 10
    CBSEENHN9000439

    निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
    पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?

    Solution
    जब भी कोई ऐसी परिस्थितियाँ आती है कि किसी दुखी व्यक्ति को देखकर व्यथा और दुख का भाव उत्पन्न होता है हमें उसके दुख का कारण जानने के लिए उसके समीप बैठने में हमारी पोशाक बंधन और अड़चन बन जाती है। उत्तम पोशाक हमें नीचे झुकने नहीं देती। ये हमें अमीरी का बोध कराती है। मानव-मानव के बीच दूरियां बढ़ाने का काम पोशाक करती है। ये पोशाक ही नियमों का उल्लंघन करती है। यदि हम निचली श्रेणियों के दुख को कम करके उन्हें दिलासा देना चाहते है तो ये पोशाक उसके लिए अड़चन बन जाती है।
    Question 11
    CBSEENHN9000440

    (क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
    लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया?

    Solution
    लेखक उस स्त्री के रोने का कारण इसलिए नहीं जान पाया क्योंकि उसकी पोशाक रूकावट बन गई। जब उसने उस खरबूज़े बेचने वाली स्त्री को घुटनों पर सिर रखकर रोते देखा और बाजार में खड़े लोगों का उस स्त्री के संबंध में बातें करते देखा तो लेखक का मन दुखी हो उठा। कारण जानना चाहते हुए भी वह ऐसा नहीं कर पाया। यद्यपि व्यक्ति का मन दूसरों के दुःख में दुःखी होता है परन्तु पोशाक परिस्थितिवश उसे झुकने नहीं देती।
    Question 12
    CBSEENHN9000441

    (क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
    भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?

    Solution
    भगवाना शहर के पास डेढ़ बीघा जमीन पर खेती करके परिवार का निर्वाह करता था। खरबूजों की डलिया बाजार में बेचने के लिए कभी-कभी वह चला जाया करता था। वह घर का एकमात्र सहारा था। उसके घर में खाने वाले अधिक और कमाने वाला एक ही था। उनके घर की आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई थी। घर के बेटे पर सभी की आशाएँ टिकी होती है। भगवाना ही था जिस पर घर के सभी सदस्यों की आशाएँ टिकी हुई थी। परिवार का निर्वाह करने के लिए वह छोटे-बड़े काम करके घर के सदस्यों का ध्यान रखता था।
    Question 13
    CBSEENHN9000442

    (क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
    लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूज़े बेचने क्यों चल पड़ी?

    Solution
    लड़के की मृत्यु के दूसरे दिन बुढ़िया खरबूज़े बेचने इसलिए चली गई क्योकि उसके पास जो कुछ था भगवाना की मृत्यु के बाद दान-दक्षिणा में खतम हो चुका था। बच्चे भूख के मारे बिलबिला रहे थे। बहू बीमार थी। मजबूरी के कारण बुढ़िया को खरबूज़े बेचने के लिए लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन जाना पड़ा था। भूख अच्छे-अच्छे लोगों को भी हिलाकर रख देती है। मृत्यु का दुख हो, या खुशी का आभास हो लेकिन पेट की आग घर से बाहर निकलने के लिए विवश कर देती है।
    Question 14
    CBSEENHN9000443

    (क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
    बुढ़िया के दु:ख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की सभ्रांत महिला की याद क्यों आई?

    Solution
    अमीर और गरीब में जन्मजात अन्तर होता है। अमीर को दुःख मनाने का अधिकार है गरीब को नहीं। बुढ़िया के दुःख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रात महिला की याद इसलिए आई क्योंकि वह महिला अपने जवान बेटे की मृत्यु के कारण अढाई-मास तक पलंग से उठ न सकी। पन्द्रह-पन्द्रह मिनट बाद मूर्च्छित हो जाती थी। शहर भर के लोगों के हृदय उसके पुत्र शोक को देखकर द्रवित हो उठे थे। दूसरी ओर लोग बुढ़िया पर ताने कस रहे थे। वे उसकी मजबूरी से कोसों दूर थे। उसके दुख को वे समझ नहीं पा रहे थे। क्योंकि वह उस संभ्रात महिला की भाँति बीमार न पड़कर साहस बटोरकर अपना दुख भुलाकर बाजार में खरबूज़े बेचकर अपने परिवार के लिए भोजन का प्रबंध करने आई थी जो कि लोगों के मन में खटक रहा था। दुख का अधिकार अमीर-गरीब में भेदभाव उत्पन्न करता है। थोड़ा-सा दुख जहाँ अमीरी को हिला देता है वहाँ बड़े-से-बड़ा दुःख भी गरीब को सहज बने रहने पर मजबूर कर देता है। बुढ़िया और दुख से भ्रांत महिला के दुख में यही अन्तर था।
    Question 15
    CBSEENHN9000444

    (ख) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों मे) लिखिए:
    बाज़ार के लोग खरबूज़े बेचनेवाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे? अपने शब्दों में लिखिए।



    Solution

    बाज़ार के लोग खरबूज़े बेचने वाली स्त्री के बारे में तरह-तरह की बातें कर रहे थे। एक आदमी घृणा से थूकते हुए कह रहा था कि बेटे की मृत्यु को अभी पूरा दिन नहीं हुआ हैं। और वह दुकान लगा बैठी है। पेट की रोटी ही इनके लिए सब कुछ है जैसी नीयत होती है; वैसी ही बरकत भगवान देता है जवान लड़के की मौत है, बेहया दुकान लगाकर बैठी है। सभी अपने व्यंग्य वाणों से उस स्त्री पर ताने कसे जा रहे थे। वह बेबसी से सिर झुकाए बैठी थी।

    Question 16
    CBSEENHN9000445

    (ख) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों मे) लिखिए:
    पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को क्या पता चला?

    Solution
    पास-पड़ोस वालों से लेखक को पता चला कि बुढ़िया का 23 बरस का जवान लड़का था। घर में उसकी बहू और पोता-पोती है। लड़का शहर के बाहर डेढ़ बीघा भर जमीन में खेती कर अपने परिवार का निर्वाह करता था या कभी-कभी वह खरबूजे भी बेचता था। मुंह अधेरे बेलों में से पके खरबूजे चुनते हुए गीली मेड की तरावट पर आराम कर रहे साँप पर उसका पैर पड़ गया। साँप के डसने से उसकी मृत्यु हो गई।
    Question 17
    CBSEENHN9000446

    (ख) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों मे) लिखिए:
    लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया माँ ने क्या-क्या उपाय किए?

    Solution
    लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया माँ ने ओझा को बुलाकर झाडू-फूंक करवाया। नागदेव की पूजा हुई। पूजा के लिए दान-दक्षिणा दी गई। घर में जो कुछ आटा या अनाज था, दान-दक्षिणा में उठ गया। माँ, बहू और बच्चे, भगवाना से लिपट-लिपटकर रोए, पर सर्प के विष से उसका सारा बदन काला पड़ गया था और लड़का मर गया।

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    Question 18
    CBSEENHN9000447

    (ख) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों मे) लिखिए:
    लेखक ने बुढ़िया के दुःख का अंदाज़ा कैसे लगाया?

    Solution
    लेखक को जब आस-पड़ोस वालों ने वास्तविकता बताई तो वह बुढ़िया की विवशता को समझ गए। घर में जब कमाने वाला कोई न रहे तो मौत की परवाह न करके घर से बाहर निकलना ही पड़ता है। परन्तु दूसरे लोग किसी भी परिस्थिति में चैन नहीं लेने देते। वैसे भी उन्हें गरीबों के दुःख का अंदाजा नहीं होता। लेखक इसी सोच में डूबे हुए बुढ़िया के दुःख का अंदाजा लगा रहे थे कि अमीर लोग अपने दुख को बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन करते है। वह बेहोश होने का नाटक करते है। और कई दिनों तक बिस्तर पर पड़े रहते है। परन्तु लेखक जानते थे कि बुढ़िया अपने मन में दुःख को दबाए हुए है। अपनी बेबसी के अनुसार अपना दुःख दर्शा रही है।
    Question 19
    CBSEENHN9000448

    (ख) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों मे) लिखिए:
    इस पाठ का शीर्षक ‘दुःख का अधिकार’ कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए?

    Solution
    ‘दुःख का अधिकार’ शीर्षक अत्यन्त सटीक है। सम्पूर्ण कथावस्तु दो वर्गो का प्रतिनिधित्व करती है पहला शोषित वर्ग है जिसके शोषण का समाज को अहसास नहीं है और दूसरा शोषक वर्ग, जिसका दुख लोगों के हृदय तक पहुंचता है और आँखों से आँसू बहने लगते हैं। गरीब के दुःख से लोग सर्वथा वंचित रहते है। उसके जीवन की कठिनाईयों को समझना नहीं चाहते। शोक या गम के लिए उसे सहूलियत नहीं देना चाहते दुखी होने को भी एक अधिकार मानते हैं। दुःख मनाने का अधिकार भी केवल संपन्न वर्ग को है। दुःख तो सभी को होता है, पर संपन्न वर्ग इस दुःख का दिखावा करता है, गरीब को कमाने खाने की चिन्ता दम नहीं लेने देती। अत: शीर्षक उपयुक्त ही है।
    Question 20
    CBSEENHN9000449

    (ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
    जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें हक सकने से रोके रहती है?

    Solution
    आशय-प्रस्तुत कहानी देश में फैले अंधविश्वासों और ऊँच-नीच के भेदभाव का पर्दाफाश करती है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि दुःख की अनुभूति सभी को समान रूप से होती है। कहानी धनी लोगों की अमानवीयता और गरीबों की विवशता को उजागर करती है। लेखक पोशाक के विषय में वर्णन करते हुए कहता है कि जिस प्रकार पतंग को डोर के अनुसार नियंत्रित किया जाता है तथा जब डोर पतंग से अलग हो जाती है, तब पतंग हवा के साथ बहती हुई उड़ती है। और हवा के कारण अचानक ही धरती पर नहीं आ गिरती। किसी न किसी वस्तु में अटक कर रह जाती है। वैसी ही स्थिति हमारी पोशाक के कारण उत्पन्न होती है। खास पोशाक के कारण व्यक्ति आसमानी बातें करने लगता है। उसकी पोशाक उसे अपनी अमीरी का आभास कराती है। वह गरीबों को अपने बराबर स्थान नहीं देना चाहता। उसकी स्थिति त्रिशंकु जैसी हो जाती है। वह चाहते हुए भी किसी के दुःख दर्द में शामिल नहीं हो सकता। इसी तरह लेखक भी नीचे झुककर उस गरीब स्त्री का दुःख बाँटना चाहता था। किन्तु उसकी पोशाक उसमें बाधा उत्पन्न करती है।
    Question 21
    CBSEENHN9000450

    (ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
    इनके लिए बेटा-बेटी खसम-लुगाई, धर्म-ईमान सब रोटी का टुकडा है।

    Solution
    आशय - आशय यह है कि समाज में रहते हुए प्रत्येक व्यक्ति को नियमों, कानूनों व परम्पराओं का पालन करना पड़ता है तभी वह सामाजिक प्राणी कहलाता है। क्योंकि समाज में अपनी दैनिक आवश्यकताओं से अधिक महत्व जीवन मूल्यों को दिया जाता है। इस कहानी में बुढ़िया को घर की मजबूरी फुटपाथ पर खरबूज़े बेचने के लिए विवश कर देती है। वह दिल पर पत्थर रखकर लोगों के ताने सहन करती है। लोग ताना देते हुए कहते है कि इनके लिए बेटा-बेटी, पति-पत्नी और धर्म-ईमान सभी कुछ रोटी ही होती है। लोग किसी की विवशता पर हँस तो सकते है परन्तु उनका सहारा नहीं बन सकते। पेट की आग उन्हें दर-दर भटकने के लिए मजबूर कर देती है। दूसरों से सहानुभूति के स्थान पर ताने सुनने पड़े तो मन फूट-फूटकर रोने को चाहता है ऐसा ही कहानी में उस बुढ़िया के साथ हुआ था।
    Question 22
    CBSEENHN9000451

    (ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
    शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और... दु:खी होने का भी एक अधिकार होता है!

    Solution
    आशय-इस पंक्ति का आशय यह है कि आज के इस समाज में दुःख मनाने का अधिकार भी केवल धनी वर्ग को होता है। यह सत्य है कि दुःख सभी को तोड़कर रख देता है। दुख में मातम सभी मनाना चाहते है चाहे वह अमीर हो या गरीब। दुःख का सामना होने पर सभी विवश हो जाते है। गरीब व्यक्ति के पास न तो दुख मनाने की सुविधा है न समय है वह तो रोजी-रोटी के चक्कर में ही उलझा रहता है। सम्पन्न वर्ग शोक का दिखावा अवश्य करता है। परन्तु वे अभागे लोग जिन्हें न दुख मनाने का अधिकार है और न अवकाश। जो परिस्थतियों के सामने घुटने टेक देते है, उन्हें पेट की ज्वाला को शांत करने के लिए दुखी होते भी काम करना पड़ता है। इस प्रकार निचली श्रेणी के लोगों को रोटी की चिन्ता दुःख मनाने के अधिकार से वंचित कर देती है।
    Question 23
    CBSEENHN9000452

    निम्नलिखित उदाहरण के अनुसार पाठ कें आए शब्द-युग्मों को छाँटकर लिखिए-
    उदाहरण-बेटा-बेटी

    Solution

    पाठ में दिए गए शब्द युग्म: बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, पोता-पोती, झाड़ना-फूँकना, छन्नी-ककना, दुअन्नी-चवन्नी।
    अन्य शब्द युग्म इस प्रकार है-
    आते-जाते, धर्म-ईमान, दान-दक्षिणा।

    Question 24
    CBSEENHN9000453

    पाठ के सदंर्भ के अनुसार निम्नलिखित वाक्यांशों की व्याख्या कीजिए -
    बंद दरवाज़े खोल देना, निर्वाह करना, भूख से बिलबिलाना, कोई चारा न होना, शोक से द्रवित हो जाना।

    Solution

    बंद दरवाजे खोल देना –इसका अर्थ है कि जहाँ पहले सुनवाई नहीं होता थी, वहाँ अब बात सुनी जाती है। जहाँ पहले अपमान होता था, वहाँ अब मान-सम्मान होता है। यदि आदमी की पोशाक अच्छी होती है तो लोग उसका आदर सत्कार करते है। उसे कही भी आने-जाने से रोका नहीं जाता उसके लिए सभी रास्ते खुले होते है।
    निर्वाह करना-पेट भरना, घर का खर्च चलाना, कमाकर परिवार का पालन पोषण करना। भगवाना सब्जी तरकारी बोकर परिवार का निर्वाह करता था।
    भूख से बिलबिलाना-भूख के कारण तड़पना, भूख से रोना खाने-पीने की सामग्री न होने के कारण बुढ़िया के पोते-पोतियाँ भूख से व्याकुल हो रहे थे। घर की आर्थिक स्थिति डगमगाने लगती है तो बच्चे भूख से बिलबिलाने लगते हैं।
    कोई चारा न होना- कोई उपाय न होना। भगवाना की माँ के पास अपने पोता-पोती को पेट भरने के लिए तथा बहू की दवा-दारु करने के लिए पैसे नहीं थे। कोई उधार भी नहीं देता था। घर में जब कमाई का कोई उपाय नहीं रहता तो दुख भरे क्षणों में भी कमाई के लिए घर से बाहर निकलना पड़ता है। बुढ़िया के पास इसके अतिरिक्त कोई साधन नहीं था कि वह बाजार में खरबूजे बेचने जाती।

    शोक से द्रवित हो जाना- दुख से हृदय पिघल जाना लेखक खरबूजे बेचने वाली बुढ़िया के रोने से दुःखी था। किसी के दुःख को देखकर स्वयं भी दुःखी होने का भाव प्रकट होता है। प्रतिष्ठित लोगों के दुःख को देखकर लोगों के हृदय पिघलने लगते है। उन लोगों के दुःख को प्रकट करने का तरीका अत्यन्त मार्मिक होता है।

    Question 25
    CBSEENHN9000454

    निम्नलिखित शब्द-युग्मों और शब्द-समूहों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
    (क) छन्नी-ककना              अढ़ाई-मास                पास-पड़ोस
         दुअन्नी-चवन्नी               मुँह-अँधेरे                 झाड़ना-फूँकना

    (ख) फफक-फफककर          बिलख-बिलखकर
          तड़प-तड़पकर             लिपट-लिपटकर

    Solution
    (क) 1. छन्नी -ककना-बुढ़िया माँ ने अपने पुत्र को बचाने के लिए छन्नी-ककना तक बेच दिया।
         2. अढ़ाई-मास- आज से ठीक अढ़ाई मास बाद हमारी वार्षिक परिक्षाएँ शुरु हो जाएंगी।
         3. पास-पड़ोस - मेरे पास-पड़ोस में सभी लोग मिल-जुलकर रहते है।
         4. दुअन्नी-चवन्नी - महिला को गरीब जानकर किसी ने उसे दुअन्नी-चवन्नी भी उधार न दी।
         5. मुंह अंधेरे-मेरे दादाजी को मुंह अंधेरे उठकर सैर करने की आदत है।
         6. झाड़ना-फूँकना - मोहन डॉक्टर के इलाज करने की बजाए ओझा से झाड़ना- फूँकना करवाने में अधिक विशवास रखता है।
    (ख) 1. फफक-फफककर-अपने पुत्र की मृत्यु का समाचार सुनते ही बुढ़िया फफक-फफकर रोने लगी।
    2. बिलख-बिलखकर-अध्यापिका की डाँट पड़ते ही छात्र बिलख-बिलखकर रोने लगी।
    3. तड़प-तड़पकर- साँप से काटे जाने पर भगवाना ने तड़प-तड़पकर प्राण दे दिए।
    4. लिपट-लिपटकर- घायल होने के कारण पुत्र पिता से लिपट-लिपटकर रोने लगा।
     
    Question 26
    CBSEENHN9000455

    निम्नलिखित वाक्य सरंचनाओं को ध्यान से पढ़िए और इस प्रकार के कुछ और वाक्य बनाइए:
    (क) 1. लड़के सुबह उठते ही भूख से बिलबिलाने लगे।
          2. उसके लिए तो बजाज की दुकान से कपड़ा ल्राना ही होगा।
          3. चाहे उसके लिए माँ के हाथों के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाएँ।

    (ख)  1. अरे जैसी नीयत होती है, अल्ला भी वैसी ही बरकत देता है।
           2. भगवाना जो एक दफे चुप हुआ तो फिर न बोला।

    Solution

    (क) 1. रमेश विद्यालय से आते ही पेट दर्द से बिलबिलाने लगा।
    2. बच्चे को चुप कराने के लिए बाज़ार से खिलौना लाना ही होगा।
    3. गरीबी के कारण मोहन के घर की छन्नी-ककन तक बिक गए।
    (ख) 1. अरे जो जैसे बोता है, वैसा ही काटता है।
    2. कविता जो एक बार यहाँ आई तो फिर नहीं गई।

    Question 27
    CBSEENHN9000456

    पड़ोस की दुकानों पर बैठे अथवा बाज़ार में खड़े लोगों को भगवाना की माँ से घृणा क्यों थी।

    Solution
    पड़ोस की दुकानों पर बैठे अथवा बाजार में खड़े लोगों को भगवाना की माँ से इसलिए घृणा हो रही थी क्योंकि लड़के की मृत्यु के अगले ही दिन वह बाजार में खरबूज़े बेचने आ गई थी। उनके अनुसार सूतक के दिनों में घर में रहना चाहिए। जिन लोगों को इसके पुत्र के मरने का पता नहीं। वे यदि इससे खरबूज़े खरीदेंगे तो उनका ईमान-धर्म नष्ट हो जाएगा।
    Question 28
    CBSEENHN9000457

    व्यक्ति के सुख-दुःख में समाज की क्या भूमिका होती है?

    Solution
    व्यक्ति के सुख-दुःख में समाज नकारात्मक भूमिका अपनाता है। वह व्यक्ति के दुःख को भली-भाँति समझने की बजाय उसे पीड़ा पहुँचाने का काम करता है। वह दुश्मनों जैसा व्यवहार करता है। एक बिलखती हुई स्त्री का दुःख पूछने की बजाय उसे तरह-तरह के व्यंग्य बाणों से घायल किया जाता है। उस पर ताने कसे जाते हैं। उसके साथ अन्याय पूर्ण व्यवहार किया जाता है। ऐसा व्यवहार कोई शत्रु ही कर सकता है। इसलिए हम कह सकते है कि इस संदर्भ में समाज की भूमिका नकारात्मक होती है।
    Question 29
    CBSEENHN9000458

    भगवाना की माँ की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।

    Solution
    भगवान की माँ एक अत्यन्त गरीब घर की विधवा बुढ़िया है। उसके घर को चलाने वाला एकमात्र उसका बेटा भगवाना सांप के काटने से मर जाता है। वह उसे बचाने की पूरी कोशिश करती है। उसे बचाने घर में जो बचा होता वह भी सब समाप्त हो जाता है, उसे अपने पुत्र, पुत्र वधू पोता-पोती से बहुत स्नेह करती है। परिवार के सदस्यों की भूख मिटाने के लिए वह पुत्र की मृत्यु के अगले ही दिन अपना दुःख भूलकर बाजार में खरबूजे बेचने आ जाती है। वह हर स्थिति का साहसपूर्वक सामना करने के लिए तैयार है। वह एक ममतामयी व साहसी महिला है।
    Question 30
    CBSEENHN9000459

    निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए:
    ईमान...........................
    बदन ...........................
    अन्दाज़ा..........................
    बेचैनी...........................
    गम.............................
    दर्जा............................
    ज़मीन.........................
    ज़माना........................
    बरकत.........................


    Solution

    ईमान - धर्म, विशवास
    बदन - शरीर, काया
    अन्दाज़ा -अनुमान, आंकलन
    बेचैनी - व्याकुलता, अकुलाहट
    गम - दुःख, पीड़ा
    दर्जा - श्रेणी, पदवी
    जमीन - पृथ्वी, धरा।
    ज़माना - युग, काल
    बरकत - लाभ, इज़ाफा।

    Question 31
    CBSEENHN9000460

    1.निम्नंकित शब्द-समूहों को पढ़ो और समझो-
    (क) कङ्घा, पतङ्‌ग, चज्वल, ठण्डा, सम्बन्ध।
    (ख) कंघा, पतंग, चंचल, ठंडा, संबंध।
    (ग) अक्षुण्ण, सम्मिलित, दुअन्नी, चवन्नी, अन्न।
    (घ) संशय, संसद, संरचना, संवाद, संहार।
    (ड) अंधेरा, बाँट, मुँह, ईंट, महिलाएँ, में, मैं।
    ध्यान दो कि ड्, ञ्, ण्, न् और म् ये पाँचों पंचमाक्षर कहलाते हैं। इनके लिखने की विधियाँ तुमने ऊपर देखीं-इसी रूप में या अनुस्वार के रूप में। इन्हें दोनों में से किसी भी तरीके से लिखा जा सकता है और दोनों ही शुद्ध हैं। ही, एक पंचमाक्षर जब दो बार आए तो अनुस्वार का प्रयोग नहीं होगा; जैसे अम्मा, अन्न आदि। इसी प्रकार इनके बाद यदि अंतस्थ य, र, ल, व और ऊष्म श, ष, स, ह आदि हों तो अनुस्वार का प्रयोग होगा, परन्तु उसका उच्चारण पंचम वर्णों में से किसी भी एक वर्ण की भाँति हों सकता है; जैसे-संशय, संरचना में ‘न्’ संवाद में ‘म्’ और संहार में ‘ङ्’।
     (·)यह चिहन है अनुस्वार का और (ঁ) यह चिह्न है अनुनासिक का। इन्हें क्रमश: बिंदु और चंद्र-बिंदु भी कहते हैं। दोनों के प्रयोग और उच्चारण में अंतर है। अनुस्वार का प्रयोग व्यंजन के साथ होता है अनुनासिक का स्वर के साथ।

    Solution
    छात्रों के स्वयं के समझने के लिए ।

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