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दुःख का अधिकार - यशपाल

Question
CBSEENHN9000457

व्यक्ति के सुख-दुःख में समाज की क्या भूमिका होती है?

Solution
व्यक्ति के सुख-दुःख में समाज नकारात्मक भूमिका अपनाता है। वह व्यक्ति के दुःख को भली-भाँति समझने की बजाय उसे पीड़ा पहुँचाने का काम करता है। वह दुश्मनों जैसा व्यवहार करता है। एक बिलखती हुई स्त्री का दुःख पूछने की बजाय उसे तरह-तरह के व्यंग्य बाणों से घायल किया जाता है। उस पर ताने कसे जाते हैं। उसके साथ अन्याय पूर्ण व्यवहार किया जाता है। ऐसा व्यवहार कोई शत्रु ही कर सकता है। इसलिए हम कह सकते है कि इस संदर्भ में समाज की भूमिका नकारात्मक होती है।

Some More Questions From दुःख का अधिकार - यशपाल Chapter

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए-
बुढ़िया को कोई भी क्यों उधार नहीं देता?

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
(क) 
मुनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्व है?

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?

(क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया?

(क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?

(क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूज़े बेचने क्यों चल पड़ी?

(क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
बुढ़िया के दु:ख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की सभ्रांत महिला की याद क्यों आई?

(ख) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों मे) लिखिए:
बाज़ार के लोग खरबूज़े बेचनेवाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे? अपने शब्दों में लिखिए।



(ख) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों मे) लिखिए:
पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को क्या पता चला?

(ख) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों मे) लिखिए:
लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया माँ ने क्या-क्या उपाय किए?