क्षितिज भाग १ Chapter 9 साखियाँ एवं सबद
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    NCERT Solution For Class 9 About 2.html क्षितिज भाग १

    साखियाँ एवं सबद Here is the CBSE About 2.html Chapter 9 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 About 2.html साखियाँ एवं सबद Chapter 9 NCERT Solutions for Class 9 About 2.html साखियाँ एवं सबद Chapter 9 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 About 2.html.

    Question 1
    CBSEENHN9001327

    'मानसरोवर' से कवि का क्या आशय है?

    Solution

    मानसरोवर से कवि का अभिप्राय हृदय रूपी तालाब से है, जो हमारे मन में स्थित है।

    Question 2
    CBSEENHN9001328

    कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है?

    Solution

    कवि के अनुसार सच्चे प्रेम की कसौटी भक्त की ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति से है। क्योंकि सच्चा प्रेमी ईश्वर के अलावा किसी से कोई मोह नहीं रखता है। उससे मिलने पर मन की सारी मलिनता नष्ट हो जाती है। पाप धुल जाते हैं और सदभावनाएँ जाग्रत हो जाती है।

    Question 3
    CBSEENHN9001329

    तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्त्व दिया है?

    Solution

    तीसरे दोहे में कवि ने अनुभव से प्राप्त ज्ञान को महत्त्व दिया है। वह ज्ञान जो सहजता से सुलभ हो हमें उसी ज्ञान की साधना करनी चाहिए। 

    Question 4
    CBSEENHN9001330

    इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है?

    Solution

    कबीर के अनुसार सच्चा संत वही कहलाता है जो साम्प्रदायिक भेदभाव, सांसारिक मोह माया से दूर, सभी स्तिथियों में समभाव (सुख दुःख, लाभ-हानि, ऊँच-नीच, अच्छा-बुरा) तथा निष्पक्ष भाव से ईश्वर की आराधना करता है।

    Question 5
    CBSEENHN9001331

    अंतिम दो दोहों के माध्यम से से कबीर ने किस तरह की संकीर्णता की ओर संकेत किया है?

    Solution

    अंतिम दो दोहों में दो तरह की संकीर्णता की ओर संकेत किया है -
    1. अपने-अपने मत को श्रेष्ठ मानने की संकीर्णता और दूसरे के धर्म की निंदा करने की संकीर्णता।
    2. ऊँचे कुल के गर्व में जीने की संकीर्णता। मनुष्य केवल ऊँचे कुल में जन्म लेने से बड़ा नहीं होता वह बड़ा बनता है तो अपने अच्छे कर्मों से।

    Question 6
    CBSEENHN9001332

    किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है या कर्मों से? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

    Solution

    राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर आदि राजा केवल ऊँचे कुल में जन्म लेने के कारण महान नहीं बने वे महान बने तो अपने उच्च कर्मों से। किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कर्मों से होती है। इनके विपरीत कबीर, सूर, युल्सी बहुत सामान्य घरों से थे। इन्हें बचपन में ठोकरें भी कहानी पड़ीं। परन्तु फ़िर भी वे अपने श्रेष्ठ कर्मों के आधार पर संसार-भर में प्रसिद्ध हो गए। इसलिए हम कह सकते हैं कि महत्व ऊँचे कर्मों का होता है, कुल का नहीं।

    Question 7
    CBSEENHN9001333

    काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
    हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि।
    स्वान रूप संसार है, भूँकन दे झख मारि।

    Solution

    प्रस्तुत दोहे में कबीरदास जी ने ज्ञान को हाथी की उपमा तथा लोगों की प्रतिक्रिया को स्वान (कुत्ते) का भौंकना कहा है। यहाँ रुपक अलंकार का प्रयोग किया गया है। दोहा छंद का प्रयोग किया गया है। यहाँ सधुक्कड़ी भाषा का प्रयोग किया गया है। यहाँ शास्त्रीय ज्ञान का विरोध किया गया है तथा सहज ज्ञान को महत्व दिया गया है।

    Question 8
    CBSEENHN9001334

    मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढता फिरता है? 

    Solution

    नुष्य ईश्वर को देवालय (मंदिर), मस्जिद, काबा तथा कैलाश में ढूँढता फिरता है।

    Question 9
    CBSEENHN9001335

    कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है?

    Solution

    कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है। उनके अनुसार ईश्वर न मंदिर में है, न मस्जिद में; न काबा में हैं, न कैलाश आदि तीर्थ यात्रा में; वह न कर्म करने में मिलता है, न योग साधना से, न वैरागी बनने से। ये सब उपरी दिखावे हैं, ढोंग हैं। इनमें मन लगाना व्यर्थ है। कबीर ने आडम्बर युक्त भक्ति करके ईश्वर प्राप्ति की इच्छा करना इन सभी प्रचलित मान्यताओं का खंडन किया है।

    Question 10
    CBSEENHN9001336

    कबीर ने ईश्वर को 'सब स्वाँसों की स्वाँस' में क्यों कहा है?

    Solution

    'सब स्वाँसों की स्वाँस में' से कवि का तात्पर्य यह है कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त हैं, सभी मनुष्यों के अंदर हैं। जब तक मनुष्य की साँस (जीवन) है तब तक ईश्वर उनकी आत्मा में हैं।

    Question 11
    CBSEENHN9001337

    कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से क्यों की?

    Solution

    सामान्य हवा में वस्तुओं को प्रभावित करने की उतनी क्षमता नहीं होती जितनी आँधी में। इसलिए कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से की। हवा तीव्र गति से आँधी के रुप में जब चलती है तो स्थिति बदल जाती है। आँधी में वो क्षमता होती है कि वो सब कुछ उड़ा सके। उसी प्रकार ज्ञान की आँधी आने से मनुष्य के मन पर पड़े हुए हर एक किस्म के अज्ञान के परदे, मोह मायारूपी बुराई, छल कपट रूपी कूड़ा सब नष्ट हो जाते हैं। मनुष्य का मन निर्मल होकर प्रभु भक्ति में रम जाता है।

    Question 12
    CBSEENHN9001338

    ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

    Solution

    ज्ञान की आँधी का मनुष्य के जीवन पर यह प्रभाव पड़ता है कि उसके सारी शंकाए और अज्ञानता का नाश हो जाता है। वह संसार की मोह माया से मुक्त हो जाता है। मन पवित्र तथा निश्छल होकर प्रभु भक्ति में तल्लीन हो जाता है।

    Question 13
    CBSEENHN9001339

    भाव स्पष्ठ कीजिये-
    हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।

    Solution

    ज्ञान की आँधी के फलस्वरूप मनुष्य के स्वार्थ तथा मोह दोनों स्तम्भ टूट कर गिर गए तथा मोह रूपी बल्ली भी गिर गई। इससे उसके मन की बुराईयाँ नष्ट हो गई और उसका मन साफ़ हो गया।

    Question 14
    CBSEENHN9001340

    भाव स्पष्ठ कीजिये-
    आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ।

    Solution

    ज्ञान रूपी आँधी आने के बाद मन प्रभु भक्ति में रम जाता है। ज्ञान की आँधी के बाद जो जल बरसा उस जल से मन भीग उठता है और आनंदित हो जाता है। अर्थात् ज्ञान की प्राप्ति के बाद मन शुद्ध हो जाता है।

    Question 15
    CBSEENHN9001341

    संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालिए।

    Solution

    कबीरदास ने प्रस्तुत दोहों के माध्यम से धार्मिक एकता तथा साम्प्रदायिक सद्धभावना के विचार को व्यक्त किया है। कबीर ने अपने विचारों द्वारा जन मानस की आँखों पर धर्म तथा संप्रदाय के नाम पर पड़े परदे को खोलने का प्रयास किया है। उन्होंने हिंदु- मुस्लिम एकता का समर्थन किया तथा धार्मिक कुप्रथाओं जैसे मूर्तिपूजा का विरोध किया है। ईश्वर मंदिर, मस्जिद तथा गुरुद्वारे में नहीं होते हैं बल्कि मनुष्य की आत्मा में व्याप्त हैं। कबीर ने हर एक मनुष्य को किसी एक मत, संप्रदाय, धर्म आदि में न पड़ने की सलाह दी है। ये सारी चीजें मनुष्य को राह से भटकाने तथा बँटवारे की और ले जाती है अत:कबीर के अनुसार हमें इन सब चक्करों में नहीं पड़ना चाहिए।

    Question 16
    CBSEENHN9001342

    निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए -
    पखापखी, अनत, जोग, जुगति, बैराग, निरपख

    Solution

    1. पखापखी - पक्ष-विपक्ष
    2. अनत - अनंत
    3. जोग -योग
    4. जुगति - युक्ति
    5.  बैराग - वैराग्य
    6. निरपख - निष्पक्ष

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