भाव स्पष्ठ कीजिये-
हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।
ज्ञान की आँधी के फलस्वरूप मनुष्य के स्वार्थ तथा मोह दोनों स्तम्भ टूट कर गिर गए तथा मोह रूपी बल्ली भी गिर गई। इससे उसके मन की बुराईयाँ नष्ट हो गई और उसका मन साफ़ हो गया।
भाव स्पष्ठ कीजिये-
हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।
ज्ञान की आँधी के फलस्वरूप मनुष्य के स्वार्थ तथा मोह दोनों स्तम्भ टूट कर गिर गए तथा मोह रूपी बल्ली भी गिर गई। इससे उसके मन की बुराईयाँ नष्ट हो गई और उसका मन साफ़ हो गया।
कबीर ने ईश्वर को 'सब स्वाँसों की स्वाँस' में क्यों कहा है?
कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से क्यों की?
ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
भाव स्पष्ठ कीजिये-
हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।
भाव स्पष्ठ कीजिये-
आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ।
संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालिए।
निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए -
पखापखी, अनत, जोग, जुगति, बैराग, निरपख
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