कबीर ने ईश्वर को 'सब स्वाँसों की स्वाँस' में क्यों कहा है?
'सब स्वाँसों की स्वाँस में' से कवि का तात्पर्य यह है कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त हैं, सभी मनुष्यों के अंदर हैं। जब तक मनुष्य की साँस (जीवन) है तब तक ईश्वर उनकी आत्मा में हैं।
कबीर ने ईश्वर को 'सब स्वाँसों की स्वाँस' में क्यों कहा है?
'सब स्वाँसों की स्वाँस में' से कवि का तात्पर्य यह है कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त हैं, सभी मनुष्यों के अंदर हैं। जब तक मनुष्य की साँस (जीवन) है तब तक ईश्वर उनकी आत्मा में हैं।
काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि।
स्वान रूप संसार है, भूँकन दे झख मारि।
मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढता फिरता है?
कबीर ने ईश्वर को 'सब स्वाँसों की स्वाँस' में क्यों कहा है?
कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से क्यों की?
ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
भाव स्पष्ठ कीजिये-
हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।
भाव स्पष्ठ कीजिये-
आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ।
संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालिए।
निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए -
पखापखी, अनत, जोग, जुगति, बैराग, निरपख
Mock Test Series