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साखियाँ एवं सबद

Question
CBSEENHN9001333

काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि।
स्वान रूप संसार है, भूँकन दे झख मारि।

Solution

प्रस्तुत दोहे में कबीरदास जी ने ज्ञान को हाथी की उपमा तथा लोगों की प्रतिक्रिया को स्वान (कुत्ते) का भौंकना कहा है। यहाँ रुपक अलंकार का प्रयोग किया गया है। दोहा छंद का प्रयोग किया गया है। यहाँ सधुक्कड़ी भाषा का प्रयोग किया गया है। यहाँ शास्त्रीय ज्ञान का विरोध किया गया है तथा सहज ज्ञान को महत्व दिया गया है।

Some More Questions From साखियाँ एवं सबद Chapter

इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है?

अंतिम दो दोहों के माध्यम से से कबीर ने किस तरह की संकीर्णता की ओर संकेत किया है?

किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है या कर्मों से? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि।
स्वान रूप संसार है, भूँकन दे झख मारि।

मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढता फिरता है? 

कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है?

कबीर ने ईश्वर को 'सब स्वाँसों की स्वाँस' में क्यों कहा है?

कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से क्यों की?

ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

भाव स्पष्ठ कीजिये-
हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।