Vasant Bhag 3 Chapter 7 क्या निराश हुआ जाए
  • Sponsor Area

    NCERT Solution For Class 8 Hindi Vasant Bhag 3

    क्या निराश हुआ जाए Here is the CBSE Hindi Chapter 7 for Class 8 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 8 Hindi क्या निराश हुआ जाए Chapter 7 NCERT Solutions for Class 8 Hindi क्या निराश हुआ जाए Chapter 7 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 8 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN8000672

    लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है फिर भी वह निराश नहीं है। आपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है?

    Solution
    लेखक ने जीवन में दूसरे लोगों से कई बार धोखा खाया है, ठगा भी गया है लेकिन फिर भी वह निराश नहीं है। उसके जीवन में ऐसे अवसर भी आए हैं जब लोगों ने एक-दूसरे की सहायता की है, निराश मन को हौसला भी दिया है। टिकट बाबू द्वारा बचे हुए पैसे लेखक को लौटाना, बस कंडक्टर द्वारा दूसरी बस व बच्चों के लिए दूध लाना आदि ऐसी ही घटनाएँ हैं। इसलिए उसे विश्वास है कि समाज में मानवता, प्रेम, आपसी सहयोग समाप्त नहीं हाे सकते।
    Question 2
    CBSEENHN8000673

    समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और टेलीविज़न पर आपने ऐसी अनेक घटनाएँ देखी-सुनी होंगी जिनमें लोगों ने बिना किसी लालच के दूसरों की सहायता की हो या ईमानदारी से काम किया हो। ऐसे समाचार तथा लेख एकत्रित करें और कम-से-कम वो घटनाओं पर अपनी टिप्पणी लिखें।

    Solution

    दैनिक जागरण
    कॉलम-पाठकनामा
    दूसरों की भलाई
    आज के समय में अपने लिए तो सभी जीते हैं, लेकिन दूसरों के लिए कुछ करना वह भी पूरे जोश व संघर्ष के साथ एक अलग व्यक्तित्व की पहचान कराता है। महात्मा गाँधी से प्रभावित डॉ. एन. लैंग दक्षिण अफ्रीका ही नहीं, पूरे विश्व की महिलाओं के लिए आदर्श हैं। रंगभेद से त्रस्त यूरोप में एक श्वेत महिला द्वारा अश्वेत के जीवन को सही राह दिखाना, अंधेरे में दीपक जलाने के समान है। अपने चमकते भविष्य को दरकिनार कर डॉ. एन. लैंग जिस तरह हर बच्चे के भविष्य के लिए संघर्ष कर रही हैं, वह लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। दु:खद यह है कि दक्षिण अफ्रीका की सरकार ही डी एन लैंग के काम में बाधा डाल रही है। दक्षिण अफ्रीका की सरकार एवं विश्व के सभी लोगों को लैंग की सहायता करनी चाहिए और अपने देश में भी ऐसे अनाथ बच्चों के सहायतार्थ योजना बनानी चाहिए, जिन्हें वास्तव में मदद की जरूरत है और वे इस मदद के बगैर आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।
    टिप्पणी-इस समाचार को पढ़कर हम यह कह सकते हैं कि हमें केवल अपने बारे में ही नहीं सोचना चाहिए बल्कि समाज मैं कमजोर वर्ग का भी सहारा बनना चाहिए। जैसे डॉ. एन. लैंग पीड़ित महिलाओं व अनाथ बच्चों हेतु सहायतार्थ कार्यो के लिए अग्रसर है। हमारा यह भी कर्तव्य बनता है कि जो लोग लोकहित कार्यो में रुचि लेते हैं उनकी सहायता भी की जाए ताकि वे अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें जिससे समाज लाभांवित हो।
    दैनिक जागरण (आम समाचार)
    स्वरोजगार भवन
    समाज में लाचार व विकलांगों की सहायता हेतु मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने ‘स्वरोजगार भवनों’ के निर्माण पर विचार किया है जिसमें जरूरतमंद लोग अपनी शारीरिक योग्यता के अनुसार कार्य करके धन कमा सकेंगे।
    टिप्पणी-ऐसे कार्यो से ही समाज आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा। वर्ग भेद व ऊँच-नीच की भावना समाप्त होगी क्योंकि जब किसी स्थान पर लोग मिलकर कार्य करते हैं तो एकता की भावना को बल मिलता है और आत्मविश्वास बढ़ता है।

    Question 3
    CBSEENHN8000674

    लेखक ने अपने जीवन की दो घटनाओं में रेलवे के टिकट बाबू और बस कंडक्टर की अच्छाई और ईमानदारी की बात बताई है। आप भी अपने या अपने किसी परिचित के साथ हुई किसी घटना के खारे में बताइए जिसमें किसी ने बिना किसी स्वार्थ के भलाई, ईमानदारी और अच्छाई के कार्य किए हों।

    Solution

    समाज में नित दिन ऐसी बहुत-सी घटनाएँ घटती हैं जिन्हें मीडिया समाचार-पत्र आदि उजागर नहीं करतै लेकिन नकारात्मक घटनाओं को जल्द ही प्रकाशित कर दिया जाता है। निम्न घटना सत्यता पर आधारित है जो मेरे जीवन में घटी-
    मेरे एक मित्र का बेटा कैंसर रोग से पीड़ित है। उनकी आर्थिक दशा बिकुल भी सुदृढ़ नहीं क्योंकि पिछले सात वर्ष से बेटे के इलाज पर काफी खर्च हो चुका है। वे छोटी-सी कंपनी में नौकरी कर केवल सात हजार रुपए महीना कमाते हैं और दवाइयों का खर्च ही पांच-छ: हजार हो जाता है। ऐसे में कैसे उसकी देखभाल करें व घर खर्च चलाएँ। मेरे एक अन्य मित्र हैं जो कलकत्ता में रहते हैं। वे एक बड़े व्यापारी हैं। वे लोकहित हेतु कई सामाजिक संगठन चला रहे हैं। मैनें उनसे अनुरोध किया कि कृपया वे मेरे एक मित्र के बेटे की सहायता करें। मैंने जैसे ही फ़ोन पर उनसे यह बात कही तो अगले ही दिन वे हवाई जहाज से दिल्ली आए और मेरे मित्र के बेटे को अपने साथ ले गए और पूरे इलाज का खर्च करने का वायदा किया। आज दो वर्ष से वह बच्चा कलकत्ते के अस्पताल में दाखिल है वे दवाइयों व उसके खाने-पीने का पूरा खर्च कर रहे हैं। अब उस बच्चे की बीमारी में भी काफी सुधार आया है।
    जब भी मैं कलकत्ता वाले मित्र के बारे में सोचता हूँ तो मेरा मन उनके लिए कृतज्ञ हो उठता है।

    Question 4
    CBSEENHN8000675

    दोषों का पर्दाफ़ाश करना कब बुरा रूप ले सकता है?

    Solution
    दोषों का पर्दाफ़ाश करना तब बुरा रूप लेता है जब जिनके दोषों को उभारा जाए वे उग्र रूप ले लै या समाज में आतंक फैला दें।
    Question 5
    CBSEENHN8000676

    आजकल के बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल ‘दोषों का पर्दाफ़ाश’ कर रहे हैं। इस प्रकार समाचारों और कार्यक्रमों की सार्थकता पर तर्क सहित विचार लिखिए?

    Solution
    आजकल बहुत से समाचार पत्र व समाचार चैनल ‘दोषों का पर्दाफ़ाश’ कर रहे हैं इसका कारण यह है कि लोग ऐसे समाचारों को पढ़कर या देखकर सचेत हो जाएँ और अपने आस-पास के माहौल में ऐसा न होने दें। इन कार्यक्रमों से लोगों को साहस और शक्ति मिलती है। वर्तमान में टी.वी. के समाचार चैनल ‘आजतक’ में प्रत्येक समाचार को विस्तार से दिखाया जाता है जिससे लोगों को अपने आसपास के वातावरण में घटने वाली घटनाओं के बारे में जानकारी रहती है। दूसरी ओर घरेलू व कानून संबंधी कार्यक्रम भी समाज की सच्चाई का प्रदर्शन करते हैं। इस क्षेत्र में समाचार पत्र भी अपनी विशेष भूमिका निभाते हैं।
    Question 6
    CBSEENHN8000677

    आपने इस लेख में एक बस की यात्रा के बारे में पढ़ा। इससे पहले भी आप एक बस यात्रा के बारे में पढ़ चुके हैं। यदि दोनों बस-यात्राओं के लेखक आपस में मिलते तो एक-दूसरे को कौन-कौन सी बातें बताते? अपनी कल्पना से उनकी बातचीत लिखिए।

    Solution

    यदि ‘बस यात्रा’ और ‘स्पा निराश हुआ जाए’ पाठों के लेखक आपस में बातें करें तो निम्न रूप से करेंगे-
    हरिशंकर - अरे भाई हजारी, क्या बताऊँ? कल से बहुत परेशान हूँ।
    हजारी - क्यों! क्या हो गया?
    हरिशंकर - कल एक ऐसी बस में बैठ गया जिसकी हालत बहुत खराब थी।
    हजारी - फिर!
    हरिशंकर - पाँच घंटे का पहाड़ी सफर था, मेरा तो अंग-अंग दर्द है। रहा है।
    हजारी - बस के मालिक भी किराया तो यात्रियों से पूरा लेते हैं लेकिन उनकी सुविधाओं की चिंंता नहीं करते।
    हरिशंकर - हजारी! तेरी उस दिन की बस यात्रा कैसी रही?
    हजारी - उस दिन मेरी बस यात्रा में एक ऐसी घटना घटी कि मैं भुलाए नहीं एल सकता।
    हरिशंकर - क्या हो गया था?
    हजारी - मैं अपनी पत्नी और बच्चों के साथ जब बस में जा रहा था तो अचानक बस खराब हो गई। लोग डर गए।
    हरिशंकर - बस के खराब होने पर लोग डर गए!
    हजारी - रास्ता सुनसान था हरिशंकर!
    हरिशंकर - फिर क्या हुआ?
    हजारी - अचानक कंडक्टर साइकिल पर सवार होकर चला गया!
    हरिशंकर - कहाँ?
    हजारी - यही तो पता नहीं था। इसलिए लोग कई प्रकार की बातें करने लगे कि ड्राइवर ने तो कंडक्टर को डाकुओं को बुलाने भेज दिया है। वे ड्राइवर को मारने को उतारू थे।
    हरिशंकर - फिर क्या हुआ?
    हजारी - थोड़ी देर में कंडक्टर खाली बस ले आया और छोटे बच्चों के लिए दूध आदि भी।
    हरिशंकर - वाह भई वाह!
    हजारी - इस बात से मन गद्गद हो गया कि आज भी मानवता जिंदा है।

    Question 7
    CBSEENHN8000678

    लेखक ने लेख का शीर्षक ‘क्या निराश हुआ जाए’ क्यों रखा होगा? क्या आप इससे भी बेहतर शीर्षक सुझा सकते हैं?

    Solution

    'क्या निराश हुआ जाए’-लेखक के शीर्षक के मायने हैं कि मनुष्य को निराश नहीं होना चाहिए, समाज में अगर अराजकता के तत्त्व बढ़ रहे हैं तो मानवीय भाव भी जिंदा हैं। जिनके सहारे भारत की मानवता कभी मिट नहीं सकती। हम इसका अन्य शीर्षक दे सकते हैं-आशावादी।

     
    Question 8
    CBSEENHN8000679

    यदि ‘क्या निराश हुआ जाए’ के बाद कोई विराम चिह्न लगाने के लिए कहा जाए तो आप दिए गए चिन्हों में से कौन-सा चिह लगाएँगे? अपने चुनाव का कारण भी बताइए। - , । . ! ? . ; - , …. ।
     ● “आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन है।” क्या आप इस बात से सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

    Solution
    'क्या निराश हुआ जाए’ के बाद हम प्रश्न चिह अर्थात् ‘क्या निराश हुआ जाए?’ लगाना सही समझेंगे। क्योंकि समाज में गलत कार्य चोरी, डकैती. ठगी, भ्रष्टाचार आदि को देखकर विचलित नहीं होना चाहिए। यह तो सदा से ही समाज मै व्याप्त रहे हैं। मनुष्य तो वह है जो इनके बावजूद भी समाज में सकारात्मक कार्यो को बढ़ावा दे और समाज का रुख मोड़कर अपने पथ का स्वयं निर्माण करे।
    आदर्शो की बातें करना तो आसान होता हैं, पर उन पर चलना बहुत कठिन है’-यह कथन पूर्णतया सत्य है क्योंकि किसी को उपदेश देना तो बहुत आसान है उन्हीं उपदेशों पर स्वयं खरा उतरना अत्यधिक कठिन। यह कहना कि ‘सच बोलना चाहिए’ बहुत आसान है लेकिन क्या हर व्यक्ति सच बोलकर ही जीवन व्यतीत कर रहा है? नहीं! अपनी सुविधा हेतु प्रत्येक मनुष्य झूठ बोलने से चूकता नहीं। किसी से फोन पर बात न करके यह कहलवाना भी कि ‘वे घर पर नहीं हैं’ भी झूठ बोलना ही है। झूठ चाहे छोटा हो या बड़ा झूठ तो झूठ ही कहलाता है।
    Question 9
    CBSEENHN8000680

    “हमारे महान मनीषियों के सपनों का भारत है और रहेगा।” आपके विचार से हमारे महान विद्वानों ने किस तरह के भारत के सपने देखे थे? लिखिए।

    Solution
    हमारे महान विद्वानों ने ऐसे भारत की कल्पना की थी जिसमें सभी एक-दूसरे से प्रेम व सहयोग की भावना से रहें। वे चाहते थे कि आर्य और द्रविड़, हिंदू और मुसलमान, यूरोपीय और भारतीय आदर्शो की मिलन भूमि भारत ही हो। उन्होंने इसे ‘मानव महा समुद्र’ के रूप में देखना चाहा।
    लोग भौतिक वस्तुओं का संग्रह न करें, आतरिक तत्वों को अधिक महत्व दें। वे लोगों मे संयम, सादगी और सरलता के भाव को देखना चाहते थे।
    Question 10
    CBSEENHN8000681

    आपके सपनों का भारत कैसा होना चाहिए? लिखिए।

    Solution
    मैं चाहता हूँ कि मेरा भारत विश्व मैं सबसे अग्रणी हाे। भ्रष्टाचार, कारी व बेरोजगारी का नामोनिशान तक भारत में न हो। सभी धर्मों के लोग मिलजुलकर रहें, सांप्रदायिक एकता का भाव है। देश विज्ञान, शिक्षा, योग, व्यापार-उद्योगों के क्षेत्र में, अधिक-से-अधिक उन्नति करें। नई संस्कृतियों का मेल इस प्रकार किया जाए कि भारतीय संस्कृति जो विश्व विख्यात है डगमगा न जाए। लोगों के हृदय में एक-दूसरे के प्रति प्रेम, सहानुभूति व सहयोग की भावना हो।
    Question 11
    CBSEENHN8000682

    दो शब्दों के मिलने से समास बनता है। समास का एक प्रकार है-द्वंद्व समास। इसमें दोनों शब्द प्रधान होते हैं। जब दोनों भाग प्रधान होंगे तो एक-दूसरे में द्वंद्व (स्पर्धा, होड़) की संभावना होती है। कोई किसी से पीछे रहना नहीं चाहता, जैसे-चरम और परम = चरम-परम, भीरु और बेबस = भीरू-बेबस। दिन और रात = दिन-रात।
    ‘और’ के साथ आए शब्दों के जोड़े को ‘और’ हटाकर (-) योजक चिह्न भी लगाया जाता है। कभी-कभी एक साथ भी लिखा जाता है। द्वंद्व समास के बारह उदाहरण ढूँढ़कर लिखिए।

    Solution

    (1) आरोप-प्रत्यारोप         (2) फल-फूल        (3) काम-क्रोध           (4) लोभ-मोह
    (5) कायदे-कानून           (6) मारने-पीटने     (7) गुण-दोष            ( 8) सुख-सुविधा
    (9) झूठ-फरेब             (10) कानून-धर्म     (11) लोक-चित्त        (12) दया-माया

    Question 12
    CBSEENHN8000683

    पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाओं के उदाहरण खोजकर लिखिए।

    Solution
    व्यक्तिवाचक - भारतवर्ष, कविवर रविंद्रनाथ ठाकुर।
    जातिवाचक - देश, आदमी, व्यक्ति, दरिद्रजनों, लोग, महिलाओं, रेलवे स्टेशन, परिवार, बच्चे, ड्राइवर, बस, कंडक्टर। भाववाचक-मन, गुण, दोष, झूठ, फरेब, आस्था, लोभ, मोह, क्रोध, पवित्र, सेवा, भयभीत, व्याकुल, लायक, मनुष्यता, दया, माया।
    Question 13
    CBSEENHN8000684

    जीवन के महान मूल्यों के प्रति आस्था क्यों हिलने लगी है?

    Solution
    वर्तमान में समाज में ईमानदार और मेहनत करके अपना निर्वाह करने वाले को मूर्ख समझा जाता है। धोखा-धड़ी, झूठ और फरेब से काम करने वाले लोग फल-फूल रहे हैं। सच्चाई केवल डरपोक व कमजोर लोगों के लिए ही रह गई है। परिश्रमी, ईमानदार व सच बोलने वाले को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसीलिए जीवन के महान मूल्यों के प्रति हमारी आस्था कम हो गई है।
    Question 14
    CBSEENHN8000685

    धर्म-भीरु लोग कानून की त्रुटियों से लाभ उठाने में संकोच क्यों नहीं करते?

    Solution
    भारतवर्ष में सदा कानून को धर्म के रूप में देखा गया है। यहाँ कभी भी धर्म और कानून को अलग-अलग करके नहीं देखा। अत: कानून का पालन करना धर्म माना गया है। पर आज वर्तमान में कानून और धर्म को अलग-अलग कर दिया गया है। धर्म को धोखा नहीं दिया जा सकता, पर कानून को धोखा देने मे किसी को भी संकोच नहीं होता। यही कारण है कि धर्म-भीरु लोग कानून की त्रुटियों से लाभ उठाने में संकोच नहीं करते।
    Question 15
    CBSEENHN8000686

    भ्रष्टाचार के विरुद्ध आक्रोश प्रकट करना किस बात को प्रमाणित करता है?

    Solution
    भ्रष्टाचार आदि के विरुद्ध आक्रोश प्रकट करना यह प्रमाणित करता है कि हम अब भी सेवा, ईमानदारी, सच्चाई और आध्यात्मिकता को महत्त्व देते हैं और उन्हें अच्छा समझते हैं। समाज में ऐसे लोगों की प्रतिष्ठा कम करना जो गलत तरीके से धन और मान कमाते हैं, भी यह प्रदर्शित करता है कि हम भ्रष्टाचार के विरुद्ध हैं।

    Sponsor Area

    Question 23
    CBSEENHN8000694

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
    इन दिनों कुछ ऐसा माहौल बना है कि ईमानदारी से मेहनत करके जीविका चलानेवाले निरीह और भोले-भाले श्रमजीवी पिस रहे हैं और झूठ तथा फ़रेब का रोज़गार करनेवाले फल-फूल रहे हैं। ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है, सचाई केवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है। ऐसी स्थिति में जीवन के महान मूल्यों के बारे में लोगों की आस्था ही हिलने लगी है।

    ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय क्यों समझा जाता है?

    • ईमानदार का पर्यायवाची शब्द मूर्खता है।
    • यदि लोग ईमानदारी से कार्य करते हैं तो चालाक लोग उसे मूर्खता समझते हैं।
    • ईमानदार लोग वास्तव में मूर्ख होते हैं।
    • ईमानदार लोगों को मूर्ख बना दिया जाता है।

    Solution

    B.

    यदि लोग ईमानदारी से कार्य करते हैं तो चालाक लोग उसे मूर्खता समझते हैं।
    Question 24
    CBSEENHN8000695

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
    इन दिनों कुछ ऐसा माहौल बना है कि ईमानदारी से मेहनत करके जीविका चलानेवाले निरीह और भोले-भाले श्रमजीवी पिस रहे हैं और झूठ तथा फ़रेब का रोज़गार करनेवाले फल-फूल रहे हैं। ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है, सचाई केवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है। ऐसी स्थिति में जीवन के महान मूल्यों के बारे में लोगों की आस्था ही हिलने लगी है।

    जीवन के महान मूल्यों के प्रति लोगों की आस्था क्यों हिलने लगी है?
    • लोगों का ईमानदारी में विश्वास नहीं रहा।
    • छल-कपट का बोलबाला है।
    • लोग ईमानदार बनना नहीं चाहते।
    • ईमानदार लोगों की सोच बदलने लगी है।

    Solution

    B.

    छल-कपट का बोलबाला है।
    Question 25
    CBSEENHN8000696
    Question 26
    CBSEENHN8000697
    Question 27
    CBSEENHN8000698

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
    भारतवर्ष ने कभी भी भौतिक वस्तुओं के संग्रह को बहुत अधिक महत्त्व नहीं दिया है, उसकी दृष्टि से मनुष्य के भीतर जो महान अंतिरिक गुण स्थिर भाव से बैठा हुआ है, वही चरम और परम है। लोभ-मोह, काम-क्रोध आदि विचार मनुष्य में स्वाभाविक रूप से विद्यमान रहते हैं, पर उन्हें प्रधान शक्ति मान लेना और अपने मन तथा बुद्धि को उन्हीं के इशारे पर छोड़ देना बहुत बुरा आचरण है। भारतवर्ष ने कभी भी उन्हें उचित नहीं माना, उन्हें सदा संयम के बंधन से बाँधकर रखने का प्रयत्न किया है। परंतु भूख की उपेक्षा नहीं की जा सकती, बीमार के लिए दवा की उपेक्षा नहीं की जा सकती, गुमराह को ठीक रास्ते पर ले जाने के उपायों की उपेक्षा नहीं की जा सकती।
    भारत में भौतिक वस्तुओं के संग्रह को महत्व क्यों नहीं दिया जाता?

    • भौतिक वस्तुओं के संग्रह से कोई लाभ नहीं होता।
    • क्योंकि भारतीय संस्कृति धार्मिक मनोभावों को बढ़ावा देती है।
    • क्योकि भारतीय संस्कृति अंतिरिक गुणों को प्रभावी मानती हैं।
    • क्योकि भारतीय संस्कृति हरदम नवीनता की ओर बढ़ती है।

    Solution

    C.

    क्योकि भारतीय संस्कृति अंतिरिक गुणों को प्रभावी मानती हैं।
    Question 28
    CBSEENHN8000699

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
    भारतवर्ष ने कभी भी भौतिक वस्तुओं के संग्रह को बहुत अधिक महत्त्व नहीं दिया है, उसकी दृष्टि से मनुष्य के भीतर जो महान अंतिरिक गुण स्थिर भाव से बैठा हुआ है, वही चरम और परम है। लोभ-मोह, काम-क्रोध आदि विचार मनुष्य में स्वाभाविक रूप से विद्यमान रहते हैं, पर उन्हें प्रधान शक्ति मान लेना और अपने मन तथा बुद्धि को उन्हीं के इशारे पर छोड़ देना बहुत बुरा आचरण है। भारतवर्ष ने कभी भी उन्हें उचित नहीं माना, उन्हें सदा संयम के बंधन से बाँधकर रखने का प्रयत्न किया है। परंतु भूख की उपेक्षा नहीं की जा सकती, बीमार के लिए दवा की उपेक्षा नहीं की जा सकती, गुमराह को ठीक रास्ते पर ले जाने के उपायों की उपेक्षा नहीं की जा सकती।
    चरम और परम किसे माना जाता है?
    • अकेला व एकसार
    • अग्रणी व प्रधान
    • अग्र व पीछे
    • इनमें से कोई नहीं।

    Solution

    C.

    अग्र व पीछे
    Question 29
    CBSEENHN8000700

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
    भारतवर्ष ने कभी भी भौतिक वस्तुओं के संग्रह को बहुत अधिक महत्व नहीं दिया है, उसकी दृष्टि से मनुष्य के भीतर जो महान अंतिरिक गुण स्थिर भाव से बैठा हुआ है, वही चरम और परम है। लोभ-मोह, काम-क्रोध आदि विचार मनुष्य में स्वाभाविक रूप से विद्यमान रहते हैं, पर उन्हें प्रधान शक्ति मान लेना और अपने मन तथा बुद्धि को उन्हीं के इशारे पर छोड़ देना बहुत बुरा आचरण है। भारतवर्ष ने कभी भी उन्हें उचित नहीं माना, उन्हें सदा संयम के बंधन से बाँधकर रखने का प्रयत्न किया है। परंतु भूख की उपेक्षा नहीं की जा सकती, बीमार के लिए दवा की उपेक्षा नहीं की जा सकती, गुमराह को ठीक रास्ते पर ले जाने के उपायों की उपेक्षा नहीं की जा सकती।
    ‘बुरा आचरण’ से क्या अभिप्राय है?
    • अंतर्मन की भावना पर गौर करना
    • दूसरा की भावनाओं काे समझना
    • बुद्धि व मन को अपने इशारों पर चलाना।
    • दुनिया की परवाह न करना।

    Solution

    B.

    दूसरा की भावनाओं काे समझना
    Question 30
    CBSEENHN8000701

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
    भारतवर्ष ने कभी भी भौतिक वस्तुओं के संग्रह को बहुत अधिक महत्व नहीं दिया है, उसकी दृष्टि से मनुष्य के भीतर जो महान अंतिरिक गुण स्थिर भाव से बैठा हुआ है, वही चरम और परम है। लोभ-मोह, काम-क्रोध आदि विचार मनुष्य में स्वाभाविक रूप से विद्यमान रहते हैं, पर उन्हें प्रधान शक्ति मान लेना और अपने मन तथा बुद्धि को उन्हीं के इशारे पर छोड़ देना बहुत बुरा आचरण है। भारतवर्ष ने कभी भी उन्हें उचित नहीं माना, उन्हें सदा संयम के बंधन से बाँधकर रखने का प्रयत्न किया है। परंतु भूख की उपेक्षा नहीं की जा सकती, बीमार के लिए दवा की उपेक्षा नहीं की जा सकती, गुमराह को ठीक रास्ते पर ले जाने के उपायों की उपेक्षा नहीं की जा सकती।
    भारतवर्ष का क्या प्रयत्न रहा है?
    • लोगों को अधिक से अधिक सुविधाएँ दी जाएँ।
    • एकता को बढ़ावा दिया जाए।
    • लोगों के आचरण में लोभ, मोह व अहंकार को नियंत्रित किया जाए।
    • लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत की जाए।

    Solution

    C.

    लोगों के आचरण में लोभ, मोह व अहंकार को नियंत्रित किया जाए।
    Question 31
    CBSEENHN8000702

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
    भारतवर्ष ने कभी भी भौतिक वस्तुओं के संग्रह को बहुत अधिक महत्व नहीं दिया है, उसकी दृष्टि से मनुष्य के भीतर जो महान अंतिरिक गुण स्थिर भाव से बैठा हुआ है, वही चरम और परम है। लोभ-मोह, काम-क्रोध आदि विचार मनुष्य में स्वाभाविक रूप से विद्यमान रहते हैं, पर उन्हें प्रधान शक्ति मान लेना और अपने मन तथा बुद्धि को उन्हीं के इशारे पर छोड़ देना बहुत बुरा आचरण है। भारतवर्ष ने कभी भी उन्हें उचित नहीं माना, उन्हें सदा संयम के बंधन से बाँधकर रखने का प्रयत्न किया है। परंतु भूख की उपेक्षा नहीं की जा सकती, बीमार के लिए दवा की उपेक्षा नहीं की जा सकती, गुमराह को ठीक रास्ते पर ले जाने के उपायों की उपेक्षा नहीं की जा सकती।
    मनुष्य को अपना आचरण शुद्ध क्यों रखना चाहिए?
    • ताकि अधिक से अधिक मित्र बनाए जा सकें।
    • ताकि विश्व में अपनी संस्कृति का ऊँचा स्थान बना रहे।
    • ताकि जीवन सुचारु रूप से चल सके।
    • ताकि लोगों का सही मार्ग दर्शन हो सके।

    Solution

    C.

    ताकि जीवन सुचारु रूप से चल सके।
    Question 32
    CBSEENHN8000703
    Question 33
    CBSEENHN8000704

    इस देश के कोटि-कोटि दरिद्रजनों की हीन अवस्था को दूर करने के लिए ऐसे अनेक कायदे-कानून बनाए गए हैं जो कृषि, उद्योग, वाणिज्य, शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति को अधिक उन्नत और सुचारु वनाने के लक्ष्य से प्रेरित हैं, परंतु जिन लोगों को इन कार्यो में लगना है, उनका मन सब समय पवित्र नहीं होता। प्राय: वे ही लक्ष्य को अभूलजाते हैं और अपनी ही सुख-सुविधा की ओर ज्यादा ध्यान देने लगते हैं।
    इन नियमों का उद्देश्य क्या है?
    • लोगों को शिक्षित करना।
    • कृषि. उद्योगों, वाणिज्य, शिक्षा और स्वास्थ्य सभी क्षेत्रों का विकास।
    • उनके जीवन को नियमित करना।
    • इनमें से कोई नहीं।

    Solution

    B.

    कृषि. उद्योगों, वाणिज्य, शिक्षा और स्वास्थ्य सभी क्षेत्रों का विकास।
    Question 34
    CBSEENHN8000705

    इस देश के कोटि-कोटि दरिद्रजनों की हीन अवस्था को दूर करने के लिए ऐसे अनेक कायदे-कानून बनाए गए हैं जो कृषि, उद्योग, वाणिज्य, शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति को अधिक उन्नत और सुचारु वनाने के लक्ष्य से प्रेरित हैं, परंतु जिन लोगों को इन कार्यो में लगना है, उनका मन सब समय पवित्र नहीं होता। प्राय: वे ही लक्ष्य को अभूलजाते हैं और अपनी ही सुख-सुविधा की ओर ज्यादा ध्यान देने लगते हैं।
    नियमों को क्रियान्वित करने वालों का मन पवित्र क्यों नहीं होता?
    • वे मन की भावनाओं को प्रमुखता नहीं देते। 
    • वे स्वार्थ भावना से लिप्त होते हैं।
    • वे सही रूप से कार्य करने में सक्षम नहीं होते।
    • वे अपने-आपको महान समझते हैं।

    Solution

    B.

    वे स्वार्थ भावना से लिप्त होते हैं।
    Question 35
    CBSEENHN8000706

    इस देश के कोटि-कोटि दरिद्रजनों की हीन अवस्था को दूर करने के लिए ऐसे अनेक कायदे-कानून बनाए गए हैं जो कृषि, उद्योग, वाणिज्य, शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति को अधिक उन्नत और सुचारु वनाने के लक्ष्य से प्रेरित हैं, परंतु जिन लोगों को इन कार्यो में लगना है, उनका मन सब समय पवित्र नहीं होता। प्राय: वे ही लक्ष्य को अभूलजाते हैं और अपनी ही सुख-सुविधा की ओर ज्यादा ध्यान देने लगते हैं।
    क्या दरिद्रों हेतु बनाए गए नियम उनके लिए उपयोगी सिद्ध होते हैं?
    • हाँ, क्योंकि वही उनका उत्थान करते हैं।
    • नहीं, क्योंकि उनके लिए बनाए गए नियम, कानून व सुविधाएँ उन्हें मिल ही नहीं पातीं।
    • वे लोग उन नियमों व सुविधाओं को प्राप्त करने में स्वयं ही अक्षम होते हैं।
    • इनमें से कोई नहीं।

    Solution

    B.

    नहीं, क्योंकि उनके लिए बनाए गए नियम, कानून व सुविधाएँ उन्हें मिल ही नहीं पातीं।
    Question 37
    CBSEENHN8000708

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    दोषों का पर्दाफ़ाश करना बुरी बात नहीं है। बुराई यह मालूम होती है कि किसी के आचरण के गलत पक्ष को उद्घाटित करके उसमें रस लिया जाता है और दोषोद्घाटन को एकमात्र कर्तव्य मान लिया जाता है। बुराई में रस लेना बुरी बात है, अच्छाई में उतना ही रस लेकर उजागर करना और भी बुरी बात है। सैकड़ों घटनाएँ ऐसी घटती हैं जिन्हें उजागर करने से लोक-चित्त में अच्छाई के प्रति अच्छी भावना जगती है।
    दोषों का पर्दाफ़ाश करना बुरी बात क्यों नहीं है?

    • दोषों का पर्दाफ़ाश करने से समाज सब जान सकता है।
    • जिसका दोष हो उसे दंडित किया जा सकता है।
    • क्योंकि दोषों का पर्दाफ़ाश करके ही स्वस्थ समाज की नींव रखी जा सकती है।
    • दोषों के पर्दाफ़ाश से लोगों को लज्जित किया जा सकता है।

    Solution

    C.

    क्योंकि दोषों का पर्दाफ़ाश करके ही स्वस्थ समाज की नींव रखी जा सकती है।  
    Question 38
    CBSEENHN8000709

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    दोषों का पर्दाफ़ाश करना बुरी बात नहीं है। बुराई यह मालूम होती है कि किसी के आचरण के गलत पक्ष को उद्घाटित करके उसमें रस लिया जाता है और दोषोद्घाटन को एकमात्र कर्तव्य मान लिया जाता है। बुराई में रस लेना बुरी बात है, अच्छाई में उतना ही रस लेकर उजागर करना और भी बुरी बात है। सैकड़ों घटनाएँ ऐसी घटती हैं जिन्हें उजागर करने से लोक-चित्त में अच्छाई के प्रति अच्छी भावना जगती है।
    लेखक ने किसे बुरी बात कहा है?
    • लोगों के मजाक उड़ाने को
    • किसी के आचरण की कमियों को उजागर करने में आनंद लेना
    • किसी की कमियाँ उजागर करने में
    • किसी की बुराइयाँ करने में

    Solution

    B.

    किसी के आचरण की कमियों को उजागर करने में आनंद लेना
    Question 39
    CBSEENHN8000710

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    दोषों का पर्दाफ़ाश करना बुरी बात नहीं है। बुराई यह मालूम होती है कि किसी के आचरण के गलत पक्ष को उद्घाटित करके उसमें रस लिया जाता है और दोषोद्घाटन को एकमात्र कर्तव्य मान लिया जाता है। बुराई में रस लेना बुरी बात है, अच्छाई में उतना ही रस लेकर उजागर करना और भी बुरी बात है। सैकड़ों घटनाएँ ऐसी घटती हैं जिन्हें उजागर करने से लोक-चित्त में अच्छाई के प्रति अच्छी भावना जगती है।
    किसी की कमियों को उजागर करने में रस लेने को बुरी बात क्याे कहा गया है?
    • क्योंकि इससे समाज में बुरी भावनाएँ बढ़ती हैं।
    • क्योंकि किसी की कमियों को उजागर करने में रस लेने से दोषों का निवारण नहीं हो पाता।
    • क्योंकि इससे लोग शर्मिंदा हो जाते हैं।
    • इनमें से कोई नहीं।

    Solution

    B.

    क्योंकि किसी की कमियों को उजागर करने में रस लेने से दोषों का निवारण नहीं हो पाता।

    Sponsor Area

    Question 40
    CBSEENHN8000711

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    दोषों का पर्दाफ़ाश करना बुरी बात नहीं है। बुराई यह मालूम होती है कि किसी के आचरण के गलत पक्ष को उद्घाटित करके उसमें रस लिया जाता है और दोषोद्घाटन को एकमात्र कर्तव्य मान लिया जाता है। बुराई में रस लेना बुरी बात है, अच्छाई में उतना ही रस लेकर उजागर करना और भी बुरी बात है। सैकड़ों घटनाएँ ऐसी घटती हैं जिन्हें उजागर करने से लोक-चित्त में अच्छाई के प्रति अच्छी भावना जगती है।
    लोकचित में अच्छाई के प्रति अच्छी भावना कैसे जागृत की जा सकती हे?
    • अच्छाइयों को उजागर करके
    • लोगों को महापुरुषों के कार्यो की शिक्षा देकर
    • लोगों का सही मार्गदर्शन करके
    • लोगों द्वारा की गई गलतियों को सुधारकर

    Solution

    A.

    अच्छाइयों को उजागर करके
    Question 41
    CBSEENHN8000712

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    दोषों का पर्दाफ़ाश करना बुरी बात नहीं है। बुराई यह मालूम होती है कि किसी के आचरण के गलत पक्ष को उद्घाटित करके उसमें रस लिया जाता है और दोषोद्घाटन को एकमात्र कर्तव्य मान लिया जाता है। बुराई में रस लेना बुरी बात है, अच्छाई में उतना ही रस लेकर उजागर करना और भी बुरी बात है। सैकड़ों घटनाएँ ऐसी घटती हैं जिन्हें उजागर करने से लोक-चित्त में अच्छाई के प्रति अच्छी भावना जगती है।
    ‘पर्दाफ़ाश’ शब्द से क्या अभिप्राय है?
    • पर्दा उठाना
    • वास्तविकता को सामने लाना
    • नई दिशा देना
    • पुरानी बातों को उजागर करना

    Solution

    B.

    वास्तविकता को सामने लाना
    Question 42
    CBSEENHN8000713

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    एक बार रेलवे स्टेशन पर टिकट लेते हुए गलती से मैंने दस के बजाय सौ रुपये का नोट दिया और मैं जल्दी-जल्दी गाड़ी में आकर बैठ गया। थोड़ी देर में टिकट बाबू उन दिनों के सेकंड क्लास के डिब्बे में हर आदमी का चेहरा पहचानता हुआ उपस्थित हुआ। उसने मुझे पहचान लिया और बड़ी विनम्रता के साथ मेरे हाथ में नब्बे रुपये रख दिए और बोला, “यह बहुत गलती हो गई थी। आपने भी नहीं देखा, मैंने भी नहीं देखा।” उसके चेहरे पर विचित्र संतोष की गरिमा थी। मैं चकित रह गया। 

    लेखक ने टिकट बाबू को गलती से कितने का नोट दिया?
    • दस की बजाय पचास का
    • दस के नोट की बजाय सौ का
    • दस की बजाय पाँच का
    • दस की बजाय बीस का

    Solution

    B.

    दस के नोट की बजाय सौ का
    Question 43
    CBSEENHN8000714

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    एक बार रेलवे स्टेशन पर टिकट लेते हुए गलती से मैंने दस के बजाय सौ रुपये का नोट दिया और मैं जल्दी-जल्दी गाड़ी में आकर बैठ गया। थोड़ी देर में टिकट बाबू उन दिनों के सेकंड क्लास के डिब्बे में हर आदमी का चेहरा पहचानता हुआ उपस्थित हुआ। उसने मुझे पहचान लिया और बड़ी विनम्रता के साथ मेरे हाथ में नब्बे रुपये रख दिए और बोला, “यह बहुत गलती हो गई थी। आपने भी नहीं देखा, मैंने भी नहीं देखा।” उसके चेहरे पर विचित्र संतोष की गरिमा थी। मैं चकित रह गया। 

    टिकट बाबू से लेखक को कितने पैसे वापस मिलने थे?
    • नब्बे रुपए
    • पचास रुपए
    • साठ रुपए
    • अस्सी रुपए

    Solution

    A.

    नब्बे रुपए
    Question 44
    CBSEENHN8000715

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    एक बार रेलवे स्टेशन पर टिकट लेते हुए गलती से मैंने दस के बजाय सौ रुपये का नोट दिया और मैं जल्दी-जल्दी गाड़ी में आकर बैठ गया। थोड़ी देर में टिकट बाबू उन दिनों के सेकंड क्लास के डिब्बे में हर आदमी का चेहरा पहचानता हुआ उपस्थित हुआ। उसने मुझे पहचान लिया और बड़ी विनम्रता के साथ मेरे हाथ में नब्बे रुपये रख दिए और बोला, “यह बहुत गलती हो गई थी। आपने भी नहीं देखा, मैंने भी नहीं देखा।” उसके चेहरे पर विचित्र संतोष की गरिमा थी। मैं चकित रह गया। 

    टिकट बाबू लेखक को ढूँढ़ता हुआ क्यों आया?
    • उनसे बकाया पैसे लेने 
    • उन्हें नब्बे रुपए देने
    • माफी माँगने
    • उन्हें टिकट देने

    Solution

    B.

    उन्हें नब्बे रुपए देने
    Question 45
    CBSEENHN8000716

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    एक बार रेलवे स्टेशन पर टिकट लेते हुए गलती से मैंने दस के बजाय सौ रुपये का नोट दिया और मैं जल्दी-जल्दी गाड़ी में आकर बैठ गया। थोड़ी देर में टिकट बाबू उन दिनों के सेकंड क्लास के डिब्बे में हर आदमी का चेहरा पहचानता हुआ उपस्थित हुआ। उसने मुझे पहचान लिया और बड़ी विनम्रता के साथ मेरे हाथ में नब्बे रुपये रख दिए और बोला, “यह बहुत गलती हो गई थी। आपने भी नहीं देखा, मैंने भी नहीं देखा।” उसके चेहरे पर विचित्र संतोष की गरिमा थी। मैं चकित रह गया। 

    टिकट बाबू ने कितने पैसे वापस किए?
    • नब्बे रुपए 
    • नब्बे रुपए पचास पैसे
    • पचास रुपए नब्बे पैसे
    • दस रुपए

    Solution

    A.

    नब्बे रुपए 
    Question 46
    CBSEENHN8000717

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    एक बार रेलवे स्टेशन पर टिकट लेते हुए गलती से मैंने दस के बजाय सौ रुपये का नोट दिया और मैं जल्दी-जल्दी गाड़ी में आकर बैठ गया। थोड़ी देर में टिकट बाबू उन दिनों के सेकंड क्लास के डिब्बे में हर आदमी का चेहरा पहचानता हुआ उपस्थित हुआ। उसने मुझे पहचान लिया और बड़ी विनम्रता के साथ मेरे हाथ में नब्बे रुपये रख दिए और बोला, “यह बहुत गलती हो गई थी। आपने भी नहीं देखा, मैंने भी नहीं देखा।” उसके चेहरे पर विचित्र संतोष की गरिमा थी। मैं चकित रह गया। 

    लेखक किस बात पर चकित था?
    • अपने पैसे वापिस मिलने पर
    • टिकट बाबू की बात पर
    • टिकट बाबू की ईमानदारी देखकर
    • इनमें से कोई नहीं

    Solution

    C.

    टिकट बाबू की ईमानदारी देखकर

    Mock Test Series

    Sponsor Area

    Sponsor Area

    NCERT Book Store

    NCERT Sample Papers

    Entrance Exams Preparation

    2